मशहूर उर्दू साहित्यक, नाटककार और संगीतकार इरशाद खान सिंकदर का 18 मई की शाम तकरीबन 6 बजे हार्ट अटैक से इंतकाल हो गया है. इरशाद खान की शायरी और आवाज के जुगलबंदी के लोग बेहद दिवाने है. देखें इरशाद खान की चुनिंदा दिल छू जाने वाली शायरियां..
खींच लाई है मोहब्बत तिरे दर पर मुझ को इतनी आसानी से वर्ना किसे हासिल हुआ मैं
बूढ़ी माँ का शायद लौट आया बचपन गुड़ियों का अम्बार लगा कर बैठ गई
मिरे ख़िलाफ़ सभी साज़िशें रचीं जिस ने वो रो रहा है मिरी दास्ताँ सुनाता हुआ
कल तेरी तस्वीर मुकम्मल की मैं ने फ़ौरन उस पर तितली आ कर बैठ गई
रिश्ता बहाल काश फिर उस की गली से हो जी चाहता है इश्क़ दोबारा उसी से हो
हमीं तुम से हमेशा मिलने आएँ क्यूँ तुम्हारे पाँव में मेहंदी लगी है क्या
मुद्दतों आँखें वज़ू करती रहीं अश्कों से तब कहीं जा के तिरी दीद के क़ाबिल हुआ मैं
कर गया ख़मोश मुझ को देर तक चीख़ना वो एक बे-ज़बान का
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