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इस्लाम में क्या करना है क्या नहीं करना है, इस बात का स्पष्ट जिक्र कर दिया गया है. कुराना और हदीस में इसे हलाल और हराम के वर्गीकरण के साथ उल्लेख किया गया है. उन्हीं में से एक हराम चीज़ है, इस्लाम में किसी मर्द का सोना पहनना. शरीर पर सोना धारण करने से मर्दों को मना किया गया है.
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आप को ये जानकर हैरानी होगी कि मध्य पूर्व के कई अरब देशों में अमीर शेख और बादशाह सोने के जहाज़, सोने की कार और बाथरूम में सोने का कमोड तक इस्तेमाल करते हैं, लेकिन वो लोग कभी सोना नहीं पहनते हैं. सोने का पानी चढ़ी कार, हेलिकप्टर, मोबाइल, सोने का मोबाइल, सोने की सजावटी सामान और यहाँ तक कि सोने का वर्क लपेटा हुआ खाना यहाँ अरब देशों के अमीर लोगों का शौक है. लेकिन फिर भी वो सोना नहीं पहनते हैं.
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गौरतलब है कि मुसलमान मर्दों का सोना पहनने का जिक्र कुरआन में कहीं पर नहीं है, लेकिन हदीस में इसका जिक्र किया गया है. सही मुस्लिम की हदीस नंबर-2069 में पैंगबर हजर मोहम्मद (स.अ.) ने फरमाया कि "सोना और रेशम मर्दों के लिए हराम है." जबकि मुस्लिम पुरुषों को चांदी, हीरा, या कोई अन्य धातु शरीर पर धारण करने से रोका नहीं गया है, लेकिन इतना ज़रूर है कि पुरुषों को औरतों की तरह रहने और उसे कॉपी करने की मनाही है.
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मशहूर इस्लामी विद्वान शेख यूसुफ अल-करजावी लिखते हैं कि "सजावट और सुंदरता इस्लाम में सिर्फ़ जायज़ नहीं, बल्कि यह ज़रूरी मानी गई है. हालांकि, इस्लाम में पुरुषों के लिए दो प्रकार की सजावट पर पाबंदी लगाई गई है, जबकि महिलाओं के लिए यह इजाज़त दी गई है. हज़रत अली (रज़ि.) से रिवायत है कि नबी ए करीम (स.अ.) ने एक बार अपने दाएं हाथ में रेशम और बाएं हाथ में सोना लेकर फ़रमाया: "ये दोनों चीज़ें मेरी उम्मत के मर्दों के लिए हराम हैं और औरतों के लिए हलाल हैं."
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गौरतलब है कि मर्दों को सोना नहीं पहनने की मनाही के पीछे कई वजहें हैं. मुफ़्ती अब्दुर्रहीम अहमद कहते हैं, "एक मुसलमान कुरआन और हदीस की बातों पर आंख बंद कर भरोसा करता है, बिना किसी दलील या लॉजिक के. यानी अगर अल्लाह या रसूल का आदेश है, तो उसके पीछे कोई न कोई मकसद होगा. इंसान का फायदा छुपा होगा." हालांकि, मुफ़्ती अब्दुर्रहीम अहमद कहते हैं, "इस्लाम में मर्दों को सजने-संवरने से मना किया गया है. ये औरतों का काम है. अगर मर्दों को भी ये छूट दे दी जायेगी तो वो सज- संवर कर औरतों जैसा व्यवहार करने लगेगा." उसमे स्त्रियोचित गुणों का विकास हो जाएगा. इसलिए उसे सोना पहनने से रोका गया है. चांदी पर रोक नहीं है, लेकिन उसकी भी एक सीमा तय है."
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इस मामले में मुफ़्ती अबरार अहमद कहते हैं, "पुरुषों को सोना पहनने से इसलिए रोका गया है ताकि समाज में दौलत की नुमाइश पर रोक लगाई जा सके. मर्दों के सोना पहने से सामजिक स्तर पर वर्गीय विभाजन पैदा हो जाएगा और इससे आर्थिक असमानताओं को बढ़ावा मिलेगा और सामाजिक असुरक्षा पैदा होगी." दौलत, शौहरत का दिखावा कम होने से अमीर और गरीब के बीच की खाई मिटेगी. इस्लाम का मकसद एक ऐसा समाज बनाना है जहां सादगी और बराबरी हो. मर्दों को सोना और रेशम पहनने से मना करना इस बात का हिस्सा है कि समाज में फिजूलखर्ची और विलासिता न बढ़े.
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कुछ उलेमा मानते हैं कि सोना पहनने से मर्दों में नामर्दी पैदा होती है. इसलिए हदीस में इसे पुरुषों को पहनने से रोका गया है. हेल्थ, स्प्रिचुआलिटी एंड एथिक्स जर्नल की 2015 की अंक में छपी एक रिसर्च रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि की गयी है कि पुरुषों के शरीर पर धारण किये गए सोने के कण उसके शुक्राणुओं में पाए गए हैं, जो उसके स्पर्म काउंट और उसकी गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं. ये रिसर्च 20 पुरुष हेल्थ प्रोफेशनल पर किये गए थे. तीन डॉक्टर्स विरोज विवानिटकिट एम.डी., सेरीमासपुन एम.डी. बी और रोज्रिट रोजानाथनेस पीएच.डी. के रिसर्च में इस बात का खुलासा किया गया है मर्दों के शरीर में सोना पहनने से उसका सीधा असर उसके स्पर्म की सेहत पर पड़ता है. स्पर्म की गुणवत्ता खराब होती है.
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