साबिक़ वज़ीरे आज़म अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर, तक़रीबन 9 किलोमीटर लंबी सुरंग दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है, जो मनाली को लाहौल-स्पीति वादी से पूरे साल जोड़ती है.
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नई दिल्ली/सैयद अब्बास मेहदी रिज़वी: हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में 10,000 फीट की ऊंचाई पर, ट्रैफ़िक के लिए दुनिया की सबसे लंबी सुरंग की तामीर अमल मे आयी है. साबिक़ वज़ीरे आज़म अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर इस टनल को बनाया गया है. वज़ीरे आज़म नरेंद्र मोदी इसके इफ्तेताह के लिए मनाली पहुंच गए हैं.
साबिक़ वज़ीरे आज़म अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर, तक़रीबन 9 किलोमीटर लंबी सुरंग दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है, जो मनाली को लाहौल-स्पीति वादी से पूरे साल जोड़ती है. इससे पहले, हर साल भारी बर्फबारी के सबब वादी लगभग 6 महीने तक कट जाती थी. पीएम नरेंद्र मोदी ने साबिक़ वज़ीरे आज़म अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती पर 25 दिसंबर 2019 को उनकी याद में रोहतांग टनल का नाम 'अटल टनल' के तौर पर करने का एलान किया था.
अटल सुरंग के फायदे
अटल सुरंग की तामीर सरहद सड़क तंज़ीम (बीआरओ) के हाथों अमल में आयी. अटल टनल के ज़रिए सभी मौसम में लाहौल और स्पीति वादी का दूर दराज़ इलाक़ों से राब्ता बना रहेगा. इससे मनाली और लेह की दूरी भी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी. वज़ारते दिफ़ा के मुताबिक़, अटल सुरंग तक़रीबन 9 किलोमीटर लंबी है. यह करीब 3,000 मीटर की ऊंचाई पर बनायी गयी दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है. इससे पहले ठंड के मौसम में इन इलाक़ों का राब्ता मुल्क के दीगर हिस्सों से छह महीने तक पूरी तरह खत्म हो जाता था.
क्या है सुरंग की तारीख़
रोहतांग दर्रे के नीचे स्ट्रैटिजिक लिहाज़ से अहमियत रखने वाली सुरंग बनाए जाने का फैसला 03 जून 2000 को लिया गया था. यह साबिक़ वज़ीरे आज़म अटल बिहारी वाजपेयी की अहदे हुकूमत के दौरान तय हुआ था. अटल सुरंग के जुनूबी हिस्से को जोड़ने वाली सड़क की बुनियाद 26 मई 2002 को रखी गई थी. अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2003 में रोहतांग टनल का इफ़्तेताह किया था. अटल सुरंग के दोनों किनारों पर सड़क तामीर का काम 15 अक्टूबर 2017 को पूरा हुआ था. हिमाचल प्रदेश सरकार की कैबिनेट की बैठक में 20 अगस्त 2018 को रोहतांग टनल का नाम साबिक़ वज़ीरे आज़म अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखने की तजवीज़ दी गयी थी.बाद में इसे मरकज़ी सरकार की मंजूरी के लिए भेजा गया था.
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