नरेंद्र मोदी ने पहली बार गुजरात के वज़ीरे आला के ओहदे का हलफ़ 7 अक्टूबर, 2001 को लिया था. उसके फ़ौरन बाद गुजरात के भुज में 26 जनवरी के दिन आये ज़बरदस्त ज़लज़ले ने पूरी रियासत को हिला कर रख दिया था.
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नदीम अहमद: वज़ीरे आज़म नरेंद्र मोदी रियासत और मरकज़ी हुकूमतों के सद्र के तौर पर आज 20वें साल में दाख़िल होगए हैं. इस दौरान उन्होंने कोई ब्रेक नहीं लिया है. इस तरह उन्होंने एक लीडर के करियर के लिहाज से एक और मिसाल पेश कर दी है. मोदी को उस वक्त आरएसएस से अचानक निकालकर गुजरात के वज़ीरे आला की ज़िम्मेदारी दे दी गई थी. हालांकि उस दौरान बीजेपी के अंदर मोदी को लेकर सवाल भी उठने लगे थे. इन हालात में भी मोदी ने गुजरात में मुसलसल तीन सालों की सदारत की और उस वक़्त मरकज़ में क़ाबिज़ कांग्रेस की हुकूमत को ज़बरदस्त चुनौती भी देते रहे.
2001 में पहली बार लिया था सीएम का हलफ़
नरेंद्र मोदी ने पहली बार गुजरात के वज़ीरे आला के ओहदे का हलफ़ 7 अक्टूबर, 2001 को लिया था. उसके फ़ौरन बाद गुजरात के भुज में 26 जनवरी के दिन आये ज़बरदस्त ज़लज़ले ने पूरी रियासत को हिला कर रख दिया था. उस दिन कच्छ में 6.9 की शिद्दत का ज़लज़ला आया था जिसने पूरे कच्छ की तस्वीर ही बदलकर रख दिया था. इस भयानक ज़लज़ले में 16,927 लोगों की मौत हुई थी और 1 लाख 66 हजार 836 लोग ज़ख़्मी हुए थे. इसके अलावा 1 लाख 47 लाख 499 लोग घर से बेघर हुए थे. इन सब हालातों से निपटते हुए मोदी ने वाइब्रेंट गुजरात जैसे कुछ कदमों के ज़रिये रियासत को दोबारा से खड़ा करने में पूरी मदद की.
गुजरात मॉडल का सेहरा मोदी के नाम
मोदी के गुजरात मॉडल की तारीफ़ भले ही सिर्फ़ इंतेख़ाबात के वक़्त ही करें लेकिन इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता है के हिंदुस्तान की महज़ पांच फ़ीसदी आबादी गुजरात में है और उसके हिस्से 6 फ़ीसदी रक़बा है. इसके साथ ही 7.6 फ़ीसदी जीडीपी है. मुल्क के कुल लेबर फॉर्स का दसवां हिस्सा गुजरात का है और कुल बरआमद का 22 फ़ीसदी गुजरात से होता है. यहां की आबो हवा और जोग्राफ़ियाई माहौल भी कारोबार के लिहाज़ से बेहतर है. हालांकि बारिश नहीं होने की वजह से यहां खेती करना आसान नहीं है. लंबे साहिल की वजह से आलमी कारोबार भी काफ़ी आसान है. आज की तारीख़ में मुल्क के एक तिहाई समुद्री जहाज गुजरात के समुद्री बीच से होकर गुजरते हैं. यहां के लोगों को मज़दूरी के लिए दूसरी रियासतों का रुख़ करना नहीं पड़ता है.
370 और तीन तलाक खत्म करने जैसे बड़े फैसले
अपने इन्तेख़ाबी मंशूर में जम्मू कश्मीर से 370 हटाने का वादा पूरा किया और मुल्क की दीगर रियासतों की तरह जम्मू कश्मीर को भी एक दूसरे के बराबर कर दिया. मोदी ने पीएम के दूसरे दौर की शुरुआत में ही एक साथ तीन तलाक की से मुस्लिम ख़्वातीन को आज़ादी दिलाई.
जब बीच पर फैला कचरा उठाया था पीएम ने
मुल्क को सफ़ाई का पैग़ाम देते हुए पीएम मोदी ने अक्टूबर 2019 में मामल्लपुरम के एक बीच पर पड़े कचरे को उठाया जिसकी जानकारी खुद पीएम ने ट्वीट कर के दी थी, ताकि अवाम के अंदर बेदारी पैदा हो और स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोग अपने घर, गली, मुहल्लों और शहरों में सफ़ाई का ख़्याल रखें.
दूसरे दौर में भी जारी हैं बड़े फ़ैसले
पीएम मोदी अपने दूसरे दौर में भी अपने कामों से जाने जा रहे हैं. एक के बाद एक बड़े फ़ैसले से उनके मुख़ालिफ परेशान तो हैं ही बल्कि हर मामले पर जमकर मुख़ालिफ़त भी करते नज़र आ रहे हैं. चाहे CAA और NRC हो, कृषि बिल हो, अयोध्या में राम मंदिर हो, स्वच्छ भारत हो, आयुष्मान भारत हो, डिजिटल इंडिया हो ऐसे कई बड़े काम हैं जो पीएम मोदी के नाम से जाना जाएगा.
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