Poetry on Memories: `ये इल्म का सौदा ये रिसाले ये किताबें`, यादों पर चुनिंदा शेर
Poetry on Memories: हर इंसान की जिंदगी में कुछ खट्टी और कुछ मीठी यादें रहती हैं. यादों को मौजूं बनाकर कई शायरों ने बेहतरीन शेर लिखे हैं. आज हम आपके लिए लेकर आए हैं यादों पर बेहतरीन शेर, पढ़ें...
Poetry on Memories: यादों पर किसी का बस नहीं होता. वह न चाहते हुए भी आती हैं. अच्छी यादें अपने साथ होठों पर हंसी ले आती हैं तो बुरी यादें अपने साथ आंखों में आसू ले आती हैं. यादों का ही कमाल है कि उन्होंने इतनना हसीन ताजमहल बनवा दिया. उर्दू के मशहूर शायरों ने महबूब और महबूबा की याद को अपना मौजूं बनाया है. इस कई शायरों ने बेबाकी से लिखा है. यहां पेश हैं याद पर बेहतरीन शायरी.
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ये इल्म का सौदा ये रिसाले ये किताबें
इक शख़्स की यादों को भुलाने के लिए हैं
-जाँ निसार अख़्तर
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सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर
अब किसे रात भर जगाती है
-जौन एलिया
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याद उसे इंतिहाई करते हैं
सो हम उस की बुराई करते हैं
-जौन एलिया
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आप के बा'द हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है
-गुलज़ार
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उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
-राहत इंदौरी
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एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
-फ़िराक़ गोरखपुरी
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उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
-बशीर बद्र
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क्या सितम है कि अब तिरी सूरत
ग़ौर करने पे याद आती है
-जौन एलिया
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तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें
हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया
-बहादुर शाह ज़फ़र
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तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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नहीं आती तो याद उन की महीनों तक नहीं आती
मगर जब याद आते हैं तो अक्सर याद आते हैं
-हसरत मोहानी
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दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तिरी याद थी अब याद आया
-नासिर काज़मी
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वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगे
तुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था
-दाग़ देहलवी
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वही फिर मुझे याद आने लगे हैं
जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं
-ख़ुमार बाराबंकवी
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