अय्याशी ऐसी कि शौक पूरे करने के लिए कॉलगर्ल बुलाता था. जब उसका मन भर जाता तो मासूम लड़कियों को अपने प्यार में फंसाना शुरू कर देता था.
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भोपाल: सायको किलर उदयन दास को आखिरकार बांकुड़ा कोर्ट से उम्र कैद की सजा मिली है. उदयन पर उसकी महबूबा के कत्ल का मुल्ज़ि लगा था. जिस पर बांकुड़ा की फास्ट ट्रैक ने उम्रकैद की सज़ा सुनाई है. हालांकि अभी मां-बाप के कत्ल के मामले में अभी रायपुर अदालत ने फैसला नहीं सुनाया है. उदयन दास अपने आपको किसी रईसजादे से कम नहीं मानता था. अय्याशी उसके खून में थी. शौक पूरे करने के लिए कॉलगर्ल भी बुलाता था. इतना ही नहीं नई-नई गर्लफ्रेंड बनाता था और उनको उसी कमरे में लेकर आता जहां आकांक्षा का ताबूत था. उन लड़कियों के साथ घंटों उसी ताबूत पर बैठकर बातें करता था.
6 साल में 12 गर्लफ्रेंड; एक को ठिकाने लगाया, कुछ का पता नहीं चला
अय्याशी ऐसी कि शौक पूरे करने के लिए कॉलगर्ल बुलाता था. जब उसका मन भर जाता तो मासूम लड़कियों को अपने प्यार में फंसाना शुरू कर देता था. फंसाने के लिए वह लग्ज़री लाइफ, पार्टी और क्लबों की फोटो अपने सोशल अकाउंट पर डालता था. बांकुड़ा की रहने वाली आकांक्षा शर्मा भी इसी जाल में फंसी थी. उदयन अपनी हवस को वो लड़कियों के सामने मोहब्बत के लबादे में ओढ़ाकर पेश करता था. वह लिखता था कि बिना मोहब्बत के वो रह नहीं सकता था लेकिन अपनी किसी भी महबूबा के साथ उसकी हद सिर्फ 6 महीने होती थी. इससे ज़्यादा वो उनके साथ रहना भी नहीं चाहता था. उसने अपने आसपास हसीन चेहरों का एक गुलिस्तां सजा रखा था. 6 साल में 12 लड़कियों के साथ उसने हवस का खेल खेला. मोहब्बत में धोखा खाने के खौफ में उसने आकांक्षा को मारा, बता दें कि 11 लड़कियों के साथ संग ऐसा कर चुका था. उन्हें हवस मिटाने के बाद उसने छोड़ दिया. इनमें से दो लड़कियों का तो अभी तक कोई अता-पता नहीं चल पाया है.
सोशल मीडिया में 100 से ज्यादा फेक अकाउंट
पुलिस को शक है कि कहीं उनके साथ भी उसने आकांक्षा जैसा सलूक तो नहीं किया. हालांकि न तो उन दो लड़कियों को लेकर किसी ने कोई शिकायत की और न ही कोई पूछने आया. पुलिस के मुताबिक उदयन के एक-दो नहीं सोशल मीडिया पर पूरे 110 फेकअकाउंट बनाकर फर्ज़ी तरीके से लड़कियों को अपनी मोहब्बत के जाल में फंसाता था. वो कभी करन बना, कभी ग्रोवर, कभी राजीव और कभी रेयान. बेहद रईसी वाली फोटो सोशल साइड पर अपलोड कर वो लड़कियों को झांसे में लेता था.
लड़कियों को फंसाने के लिए बताता हीरा कारोबारी
लड़कियों को लुभाने के लिए उदयन खुद को माइनिंग, तेल और हीरे का कारोबारी बताता था. उसकी मर्सिडीज़ कार इस बात को पूरा सही साबित करती थी. वह लड़कियों को खुद को दो-दो मल्टीनेशनल कंपनी का मालिक बताता था. वह बताता कि उसकी कंपनियों का कारोबार इंडिया, चाइना, यूरोप, यूएस से लेकर यूएई तक फैला है. 6 साल में उसने 12 से ज्यादा लड़कियां बदलीं थीं. आकांक्षा भी उससे सोशल साइट ऑरकुट के जरिए 2007 में उससे मिली थी.
आकांक्षा को धोखे में रख बुला लिया भोपाल
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उदयन और आकांक्षा एक-दूसरे से मेरठ में मिले थे. इसके बाद सोशल नेटवर्क फेसबुक पर इन दोनों की दोस्ती आगे बढ़ी आकांक्षा और उदयन का मिलना जुलना होने लगा और 23 जून 2016 को अचानक आकांक्षा बैरूने मुल्क में नौकरी मिलने की बात कहकर बाकुड़ा भोपाल आ गई. वह उदयन दास के साथ लिव इन में रहने लगी. इस दौरान यह दोनों अमेरिका के सफर पर भी गए और वहीं इन दोनों ने शादी भी कर ली. आकांक्षा ने कुछ फोटो भी अपने घरवालों की भेजी थी. जिससे घरवालों को लगा कि वह सच में अमेरिका में ही रह रही है.
15 जुलाई को किया था आकांक्षा का कत्ल, 16 को बना दिया ताबूत
अमेरिका से लौटने के बाद दोनों भोपाल में रहने लगे. उदयन दास को आकांक्षा के किरदार पर एक दिन शक हुआ. उसने पुलिस को बताया था कि उसने आकांक्षा की किसी शख्स के साथ एक फोटो देखी थी. आकांक्षा के खाते से कुछ पैसे भी निकले तो उदयन को लगा की आकांक्षा उसको धोखा दे रही है. इसको लेकर उसके और आकांक्षा में अक्सर झगड़े होने लगे इस दौरान आकांक्षा अपने परिवार वालों से चैट पर लगातार बात करती रही. 14 जुलाई को भी दोनों को बीच खूब लड़ाई-झगड़ा हुआ था. परिवार वाले भी यही समझते रहे की उनकी बेटी अमेरिका में शादीशुदा ज़िंदगी गुज़ार रही है. लेकिन उदयन ने 15 जुलाई 2016 को उसका कत्ल हत्या कर दिया. कमरे में रखे लोहे के बॉक्स में उसकी बॉडी भर दी. उस बॉक्स को सीमेंट से भरकर उसने ताबूत जैसा बना दिया.
मां-बाप को भी मारकर कर दिया था दफन
आकांक्षा के माता-पिता को बेटी का यह रवेय्या कुछ ठीक नहीं लगा. उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने आकांक्षा के मोबाइल की लोकेशन भोपाल में ट्रैक की. इसके बाद परिवार वाले भोपाल पहुंचे लेकिन आकांक्षा का कुछ पता नहीं चला. जिसके बाद आकांक्षा के वालिद (पिता) शिवेंद्र नारायण शर्मा ने जनवरी, 2017 में बांकुरा में उदयन के खिलाफ अगवा का मामला दर्ज कराया. पुलिस भोपाल पहुंची और 1 फरवरी को उसे गिरफ्तार कर लिया गया. उदयन ने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस पूछताछ में उदयन ने बताया कि रायपुर में उसने अपने मां-बाप को भी 2010 में मार दिया था. कत्ल के बाद मुबय्यना तौर पर उसने दोनों की लाशों को घर में ही दफना दिया था.
पैसों की कमी नहीं, लेकिन अय्याशी ने बना दिया सायको किलर
उदयन के वालिद वीके दास भेल में फोरमैन थे. मां इंद्राणी विंध्याचल भवन में एनालिस्ट थी. उदयन की पढ़ाई भोपाल के सेंट जोसेफ स्कूल में हुई थी. जब मां रिटायर हो गई तो वह फर्जी डॉक्यूमेंट के ज़रिए उनकी पेंशन के पैसे निकाल लेता था. उसके वालिदैन पिपलानी में रहते थे लेकिन रिटायमेंट के बाद वो रायपुर शिफ्ट हो गए थे. वह भोपाल के डीडी नगर की पॉश कॉलोनी में रहते थे. यहां उदयन अक्सर पैसों को लेकर मारपीट करता था. एक दिन पैसों को लेकर ही उसने मां-बाप का भी कत्ल कर दिया था और उनकी लाश को घर में ही दफन कर दिया था. रायपुर का यह मकान उसने हरीश कुमार पांडे को बेच दिया. मकान के पैसों से महंगी कार खरीदी, मां के ज़ेवरों से होम थिएटर खरीदा और बाकी का पैसा ऐशोआराम में खर्च कर दिए. भोपाल के साकेतनगर में उसका 1200 स्क्वॉयर फिट ता दो मंजिला बंगला है. दिल्ली में डिफेंस कॉलोनी में भी उसका मकान है और मां-बाप की पेंशन भी उसे मिलती थी.
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