कृषि कानून के खिलाफ पंजाब असेंबली प्रस्वात पास, CM कैप्टन मोदी सरकार को घेरा
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कृषि कानून के खिलाफ पंजाब असेंबली प्रस्वात पास, CM कैप्टन मोदी सरकार को घेरा

कैप्टन अमरिंदर ने इस दौरान सभी से अपील करते हुए कहा कि सियासी जमाअतों को इस मसले पर एक साथ आना होगा. सीएम ने रेलवे ट्रैक पर बैठे किसानों से अपील की है कि अब धरना खत्म कर दें और काम पर लौटें,

फाइल फोटो

चंडीगढ़: मरकज़ी सरकार की तरफ से लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रोटेस्ट हो रहे हैं. इस बीच मंगल को पंजाब असेंबली में इन कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पेश कर दिया गया है. पंजाब ऐसा करने वाला पहली सूबा बना है. पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने असेंबली में प्रस्ताव पेश किया है. 

इस प्रस्ताव में मरकज़ी सरकार की जानिब से लाए गए तीनों कृषि कानूनों की तनक़ीद की गई है. यहां तजवीज पेश करने के बाद सीएम कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि तीन कृषि कानूनों के अलावा इलेक्ट्रिसिटी बिल में भी जो बदलाव किए गए हैं, वो भी किसान और मजदूरों के खिलाफ है. इससे सिर्फ पंजाब ही नहीं, बल्कि हरियाणा और वेस्ट यूपी पर भी असर पड़ेगा. असेंबली में मरकज़ के कानूनों के खिलाफ तीन नए बिल पेश किए गए, जो मरकज़ की जानिब से लाए कानूनों के बिल्कुल अलग हैं और एमएसपी को जरूरी करते हैं. इस प्रस्ताव में मरकज़ी सरकार से अपील की गई है कि ताजा Ordinance लाया जाए, जिसमें MSP को शामिल किया जाए. इसके अलावा सरकारी एजेंसियों के अमल को मजबूत किया जाए.

कैप्टन अमरिंदर ने इस दौरान सभी से अपील करते हुए कहा कि सियासी जमाअतों को इस मसले पर एक साथ आना होगा. सीएम ने रेलवे ट्रैक पर बैठे किसानों से अपील की है कि अब धरना खत्म कर दें और काम पर लौटें, इन कानूनों के खिलाफ हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे. पंजाब सीएम ने इस दौरान आम आदमी पार्टी के एमएलए पर भी तंज कसा और कहा कि कुछ लोग असेंबली में रात गुजार रहे हैं, कोई ट्रैक्टर पर आ रहा है. ऐसे में इन मुद्दों से कुछ नहीं होगा, मुज़ाहिरे से कोई फायदा नहीं है जब तक हम मरकज़ के खिलाफ एक साथ आकर लड़ाई ना लड़ें. 

सीएम ने ऐलान किया कि अब इस बिल की बुनियाद पर रियासती सरकार आगे की कानूनी लड़ाई लड़ेगी. तजवज़ी में इस बात को शामिल किया गया है कि कानून के मुतबिक कृषि का मसला रियासती सरकार के हाथ में है, लेकिन इस पर मरकज ने खुद ही फैसला ले लिया जो कि कानून की ख़िलाफवर्ज़ी है. ऐसे में हतमी फैसला रियासतों के पास होना चाहिए.

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