Eid-e-Milad-un-Nabi 2021: ईद-ए-मिलाद के मौके पर पढ़ें हज़रत मोहम्मद के कुछ ख़ास उपदेश
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Eid-e-Milad-un-Nabi 2021: ईद-ए-मिलाद के मौके पर पढ़ें हज़रत मोहम्मद के कुछ ख़ास उपदेश

Prophet Muhammad Message: ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के मौके पर पैगंबर मोहम्मद की तालीमात को आम किया जाता है और उनके बयानात लोगों को पढ़ कर सुनाए जाते हैं. आइिए इस मुबारक दिन के मौके पर पैगंबर मोहम्मद के कुछ अकवाल आपको सुनाते हैं: 

Gumbad-E-Khizra, File Photo

Eid-E-Milad 2021: आज इस्लामिक कैलेंडर के ऐतबार से इस्लाम के तीसरे महीने रबीउल अव्वल की 12  तारीख है. इसी तारीख को पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पैदाइश हुई थी, जिसे दुनिया भर में मुसलमान ईद-ए-मिलाद-उन-नबी या ईद-ए-मिलाद के तौर पर मनाते हैं. पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पैदाइश की खुशी में मुस्लिम मस्जिदों में नमाज़ें अदा करते हैं. रातभर मोहम्मद को याद कर दुआएं मांगते हैं, जुलूस निकालते हैं, मजलिसें बुलाई जाती हैं.

ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के मौके पर पैगंबर मोहम्मद की तालीमात को आम किया जाता है और उनके बयानात लोगों को पढ़ कर सुनाए जाते हैं. आइिए इस मुबारक दिन के मौके पर पैगंबर मोहम्मद के कुछ अकवाल आपको सुनाते हैं: 

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  • मजदूर को उसकी मजदूरी उसके पसीने सूखने से पहले दे दें.
  • वह आदमी जन्नत में दाखिल नहीं हो सकता जिसके दिल में घमंड का एक जर्रा भी मौजूद हो.
  • जिसके पास एक दिन और एक रात का भी खाना है उसके भीख मांगना मना है.
  • सबसे अच्छा मुसलमान घर वह है जहां यतीम पलता है और सबसे बुरा मुसलमान घर वह है जहां यतीम के साथ बद-सुलूकी की जाती है.
  • जो इलम की तलाश में घर-बार छोड़ देता है वह अल्लाह के रास्ते पर चलता है. यहां तक के वह वापस लौटे.
  • अल्लाह के सारे मखलूक उसका परिवार हैं, अल्लाह उसे सबसे ज़्यादा चाहता है जो अल्लाह के मखलूक की ज्यादा से ज्यादा भलाई करता है.
  • जो इंसान इलम के हुसूल के लिए कदम उठाता है, उसके कदम उठाने से पहले उसके सारे गुनाह माफ कर दिए जाते हैं. 
  • सबसे अच्छा इंसान वह है, जिसके दिल में इंसानीयन के लिए भलाई होती है. 
  • जो इल्म की इज़्ज़त करता है वह मेरी इज़्ज़त करता है.
  • किसी आमिल के कलम की सियाही किसी शहदी के खून से ज्यादा पाक है.
  • इल्म का हुसूल किसी इबादत से बेहरत है और दिन की बुनियाद तहम्मुल पर है.
  • इल्म की तलाश करने वाला इंसान जाहिलों के दरमियान वैसा ही जैसा मुर्दों के दरमियान कोई ज़िंदा इंसान.
  • आलिमों के साथ बैठना किसी इबादत से कम नहीं है.

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गौरतलब है कि 571 ईसवी, को सऊदी अरब के शहर मक्का में पैगंबर साहब हजरत मुहम्मद (सल्ल) की पैदाइश हुई थी. इसी की याद में ईद मिलादुन्नबी का त्यौहार मनाया जाता है. हजरत मुहम्मद (सल्ल) ने ही इस्लाम मज़हब को मजबूती के साथ पूरी दुनिया में कायम किया है. आप हजरत मोहम्मद,(सल्ल) इस्लाम के आखिरी नबी हैं, आपके बाद अब कायामत तक कोई नबी नहीं आने वाला है. पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने पूरी दुनिया में अल्लाह के पैगाम को फैलाया, लोगों को पाक-साफ रहने के नियम बताए और साथ ही तमाम लोगों की जानमाल की हिफाज़त के लिए इस्लामिक तरीके लोगों तक पहुंचाए.

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