Moscow Format: रूस में आज तालिबान-भारत होंगे आमने-सामने, अफगानिस्तान के हालात पर होगी चर्चा
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Moscow Format: रूस में आज तालिबान-भारत होंगे आमने-सामने, अफगानिस्तान के हालात पर होगी चर्चा

मंगलवार को मॉस्को द्वारा मुंअदिक एक बैठक से अमेरिका के हटने के एक दिन बाद तालिबान और 10 इलाकाई मुल्कों के दरमियान बातचीत होगी. इसमें चीन और पाकिस्तान के नुमाइंदे भी शिरकत कर रहे हैं.

Taliban Fighter, File Photo

नई दिल्ली: अफगानिस्तान में हुकूमत की तबदीली के बाद पहली बार भारत और तालिबान एक बैठक के दौरान आमने-सामने होने वाले हैं. ये बैठक रूस के दारुल हुकूमत मास्को में हो रही है. इस दौरान भारतीय हुकूमत के नुमाइंदे और तालिबान के अधिकारी आमने-सामने होंगे. वहां तालिबान वफद की कियादत अंतरिम अफगान सरकार के उपप्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनफी करेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक मास्को में आयोजित “मॉस्को फॉर्मेट” बैठक में अफगानिस्तान में सुरक्षा की सूरते-हाल और एक समावेशी सरकार के गठन पर को लेकर बातचीत हो सकती है.

दरअसल, मंगलवार को मॉस्को द्वारा मुंअदिक एक बैठक से अमेरिका के हटने के एक दिन बाद तालिबान और 10 इलाकाई मुल्कों के दरमियान बातचीत होगी. इसमें चीन और पाकिस्तान के नुमाइंदे भी शिरकत कर रहे हैं.

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भारत ने इस बैठक में हिस्सा लेने को अपनी हां कर दी
वहीं, भारत ने इस बैठक में भाग लेने को अपनी हां कर दी है. भारतीय वज़ारते खारजा ने कहा है कि 20 अक्टूबर को अफगानिस्तान मसले पर मॉस्को फॉर्मेट पर बैठक का आमंत्रण मिला है और हम इसमें भाग ले रहे हैं. इस बैठक में भारतीय वफद की कियादत संयुक्त सचिव जेपी सिंह करेंगे, जो विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान डेस्क के प्रमुख हैं.

इन मुद्दों पर होगी चर्चा
बताया जा रहा है कि मॉस्को में होने वाली यह बैठक अफगानिस्तान में फौजी, राजनीतिक हालात, समावेशी सरकार के गठन और इंसानी बोहरान को रोकने के लिए आलमी कोशिशों पर केंद्रित होग.

रूसी वज़ारते खारजा ने जानकारी दी है कि अफगानिस्तान में फौजी और सियासी विकास के इमाकानात और समावेशी सरकार गठन पर चर्चा की जाएगी. हम सभी अफगानिस्तान में मानवीय संकट को रोकने के लिए दुनिया की कोशिशों को और मज़बूत करेंगे. वहीं मीटिंग के बाद एक जॉइंट स्टेटमेंट भी जारी किया जाएगा.

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तालिबान को लेकर भारत का ये है रुख
भारत अब तक तालिबान के मौजूदा नज़ाम को लेकर मुखर रहा है. भारत ने पहले दिन से ही अफगानिस्तान में समावेशी सरकार की वकालत की है, जिसमें अफगानिस्तान को तमाम फरीकों और गिरुहों को शामिल किया जाए. भारत का मानना रहा है कि फगान जमीन का उपयोग आतंकवाद और कट्टरपंथ के लिए नहीं होना चाहिए.

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