आज 26 जनवरी है, आज ही दिन साल 1950 में भारत को अपना संविधान मिला था. हालांकि हिंदुस्तान 1947 में आजाद हो गया था लेकिन उस वक्त उसके पास अपना संविधान नहीं था.
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मेरे प्यारे मुल्क हिंदुस्तान के संविधान की खासियतों की बात करें तो शायद हम लफ्ज़ों में बयान नहीं कर पाएंगे. क्योंकि इसकी खूबसूरती और खासियतों को लफ्ज़ों में नहीं बांधा जा सकता. सबसे बड़ी खासियत तो यह है कि इस मुल्क में रहने वाले अनगिनत मज़हबों और संस्कृतियों को मानने वाले हर शख्स को बराबरी का दर्जा इस कानून ने दिया है. इसीलिए प्यारे हिंदुस्तान को एक ऐसा चमन कहा जाता है जिसमें रंग-बिरंगे फूल और सभी की अलग-अलग खुशबू होती है. अगर इसकी बराबरी हम उस आसमान से भी करें जिसमें अनगिनत सितारे समक रहे होते हैं और हर सितारा अपने आपको आसमान का निगेहबान (रखवाला) समझ रहा हो.
आज 26 जनवरी है, आज ही दिन साल 1950 में भारत को अपना संविधान मिला था. हालांकि हिंदुस्तान 1947 में आजाद हो गया था लेकिन उस वक्त उसके पास अपना संविधान नहीं था. 26 जनवरी 1950 को अपना संविधान बनने के बाद ही हिंदुस्तान का संप्रभु यानी एक खुदमुख्तार मुल्क के तौर पर माना गया. इसी दिन को हर हिंदुस्तानी गणतंत्र दिवस (Republic Day) के तौर पर मनाता है. भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है. इस संविधान में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, प्रशासनिक सेवाएं, निर्वाचन आयोग समेत प्रशासन से संबंधित सभी विषयों पर विस्तार से लिखा गया है.
बनने के एक साल बाद अपनाया गया कानून
26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान (Indian Constitution) लागू हुआ. संविधान सभा, जिसका मकसद भारत के संविधान का मसौदा तैयार करना था, ने अपना पहला सेशन 9 दिसंबर, 1946 को आयोजित किया. अंतिम विधानसभा सेशन 26 नवंबर, 1949 को खत्म हुआ और फिर एक साल बाद संविधान को अपनाया गया.
किन देशों के संविधान से मिलाकर बना भारत का संविधान
भारतीय संविधान बनाने से पहले संविधान सभा ने कई देशों के संविधान को पढ़ा और समझा. दूसरे देशों के अलावा कुछ अन्य चीजों को ध्यान में रखते हुए जहां से भी जो चीज अच्छी लगी उसे लेकर भारतीय संविधान में शामिल कर लिया गया. भारत के संविधान के अहम ज़रियों में ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, जर्मनी वगैरह देशों के संविधान रहे हैं.
भारत के संविधान की एक खासियत है कि ये लिखित है. यूनाइटेड किंगडम में लिखित संविधान नहीं है. वहां, परंपरा के तहत चली आ रही बातों का पालन किया जाता है. ब्रिटेन में पूरी तरह से केंद्रीय शासन है. वहां देश के सभी हिस्सों में केंद्र के प्रतिनिधि ही काम करते हैं. जबकि अमेरिका में संघीय ढांचा है. वहां पर राज्यों को बहुत ज्यादा स्वायत्तता हासिल है. भारत में संघीय ढांचा तो है, लेकिन उसका झुकाव केंद्र की तरफ रखा गया है. यही वजह है कि राज्य कई मामलों में अपने हिसाब से कानून बनाते हैं, प्रशासन चलाते हैं. लेकिन केंद्र अगर जरूरी समझे तो किसी राज्य सरकार को बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लगा सकता है.
भारतीय संविधान में समानता का अधिकार:
भारतीय संविधान में की खासियत यह भी है कि देश में रहने वाले सभी लोगों बराबर हैं और संवैधानिक तौर पर ऊंचे और निचले, निचले और ऊंचों के बीच कोई फर्क नहीं है, हक और ताकत में किसी को भी दूसरों पर प्राथमिकता नहीं दी जाती है. इसलिए, हम कह सकते हैं कि हमारे संविधान के अनुच्छेद 15 और 14 में बताया गया है कि "राज्य देश के भीतर कानून की नजर में किसी भी व्यक्ति को समानता या कानून के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा. कोई भेदभाव नहीं होगा."
भारतीय संविधान में धार्मिक आज़ादी
इंसान के स्वभाव पर एक नज़र डालें तो पता चलता है कि उसमें सबसे हस्सास/संवेदनशील उसका मज़हब होता है. इसके तहत अलग-अलग लोगों में जंग और जिद्दोजहद भी देखने को मिलती है. यह उन देशों में अक्सर देखा गया है जहां अलग-अलग मज़हब के लोग रहते हैं. इसमें हिंदुस्तान सबसे बड़ी मिसाल है. क्योंकि यहां अलग-अलग मज़हब के लोग मौजूद हैं इसलिए, काननूनी तौर पर देश के हर शहरी को अपने मज़हब का आज़ादी के साथ पालन करने, उसका प्रचार करने और उसके मज़हब में बताए गए रास्ते पर चलने की आज़ादी दी गई है.
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