लखनऊ में हुई गिरफ्तारी पर रिहाई मंच ने कहा- पुलिस और मीडिया जज न बने, मामले की उच्च स्तरीय जाँच हो
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लखनऊ में हुई गिरफ्तारी पर रिहाई मंच ने कहा- पुलिस और मीडिया जज न बने, मामले की उच्च स्तरीय जाँच हो

आतंकवाद के नाम पर गिरफ्तार किए गए शकील के परिजनों से जुमेरात को रिहाई मंच ने मुलाकात करने के बाद कहा, बहुसंख्यक समाज को दहशतजदा करके उनके वोट हासिल करने का है यह तरीका. इसकी उच्च स्तरीय जाँच हो जिससे हकीकत सामने आए.

अलामती तस्वीर

लखनऊः लखनऊ में ई रिक्शा चालक शकील को दहशतगर्द होने के इल्जाम में गिरफ्तार किए जाने पर सामाजिक संस्था रिहाई मंच ने शकील के खानदान से मुलाकात करके हालात का जायजा लिया है. गिरफ्तार किए गए शकील के बड़े भाई इलयास ने रिहाई मंच से कहा कि मेरा भाई बेकसूर है उसे फर्जी तरीके से फंसाया जा रहा है. वह सालों से रिक्शा चलाकर अपने परिवार का किसी तरह पेट पाल रहा था. इलयास ने कहा कि जब घर से वह कहीं गया नहीं तो कैसे और कब आतंकवादी हो गया.

मुल्जिम के भाई ने उसे बताया बेकसूर 
इसके अलावा बड़े भाई इलयास ने शकील को बेकसूर बताते हुए कहा कि शकील रोज की तरह सुबह रिक्शा लेकर निकला था. सुबह 9 बजे के करीब किसी साथी रिक्शा वाले ने शकील की पत्नी के मोबाइल पर फोन करके बताया कि शकील को पुलिस ने पकड़ लिया है. शकील की पत्नी ने मुझे फोने करके बताया. जब मैं घर आकर देखा तो पूरी गली को पुलिस ने घेर रखा था. इलियास ने बताया की जब पुलिस वालों से हमने पूछा तो उन्होंने हमें डांट दिया. फिर भी हमने कहा कि साहब ऐसा कुछ नहीं है, आप हमारे घर की तलाशी ले लो. उसके बाद हम घर में ले जाकर खुद एक-एक समान चेक कराया.

पुलिस ने कहा, तुम जैसे शक्ल वाले ही आतंकवादी होते हैं 
रिहाई मंच को इलियास ने बताया कि बाद में जब हम पता करने के लिए वजीरगंज थाने गए कि मेरे भाई को कहां ले गए तो एक पुलिस वाले ने कहा मास्क हटाओ. जब हमने मास्क हटाया तो उसने कहा भाग यहां से, तुम ही जैसे लोग आतंकवादी होते हो. इलयास ने रिहाई मंच की टीम को रिक्शा की हालत दिखाते हुए सवाल किया कि आप लोग ही बताएं कि अगर मेरा भाई आतंकवादी होता तो उसे घर चलाने के लिए सुबह से शाम तक यह टूटा-फूटा रिक्शा क्यों चलाना पड़ता.

बहुसंख्यक को डरा कर वोट हासिल करने का तरीकाः रिहाई मंच
इस मौके पर रिहाई मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मुहम्मद शुऐब ने कहा कि चुनाव के नजदीक आते ही इस तरह की गिरफ्तारियां पहले भी होती रही हैं, जिससे बहुसंख्यक समाज को दहशतजदा करके उनके वोट हासिल किए जा सकें. इसकी उच्च स्तरीय जाँच हो जिससे हकीकत सामने आए. मोहम्मद शोएब ने इल्जाम लगाते हुए कहा कि पुलिस और मीडिया तो खुद जज बनकर फैसला सुनाती रही है. जिसके नतीजे में बेगुनाहों को अपनी जिन्दगी के बेशकीमती वक्त निर्दोष होते हुए भी जेल की काल कोठरियों में गुजारनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि इस तरह के कई मुकदमों को हमने लड़ा है जिसको पुलिस खूंखार आतंकवादी बता रही थी वह अदालत से निर्दोष साबित हुए हैं.

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