मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि देश की सभी सहयोगी संस्थाओं से अपील है कि कुरान पाक की सर्वश्रेष्ठता, महानता के दृष्टिगत अदालतों में इसे चर्चा का विषय बनाने का कोई स्वरूप न अपनाएं.
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देवबंद: जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी ने आज वसीम रिजवी की कुरान की आयतों के लेकर दाखिल की गई अर्जी पर कहा है कि कुरान की आयतों को हटाए जाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका स्थाई फितना (उपद्रव) और जनहित के लिए अत्यधिक हानिकारक है. उन्होंने कहा कि इससे देश की सुख शांति और व्यवस्था को भयंकर ख़तरा पैदा होगा.
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गुरुवार को कारी उस्मान मंसूरपुरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को खुद अपने पिछले फैसलों की रौशनी में पवित्र कुरान के संबंध में किसी तरह का फैसला करने का कोई अधिकार नहीं है. क्योंकि देश के संविधान ने सभी धर्मों की मान्यताओं और दृष्टिकोणों के सम्मान तथा हर एक को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार दिया है. उन्होंने कहा कि पवित्र कुरान मुसलमानों के लिए मार्गदर्शक और श्रद्धा की सर्वश्रेष्ठ प्रथम किताब है. पूरा इस्लाम धर्म इस पर स्थापित है. इसके बिना इस्लाम धर्म की कोई कल्पना नहीं है. इसलिए हम प्रबुद्ध नागरिक होने के नाते सुप्रीम कोर्ट से प्रार्थना करते हैं कि वह इस अर्ज़ी को पहली सुनवाई में खारिज कर दे.
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वहीं राष्ट्रीय महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि देश की सभी सहयोगी संस्थाओं से अपील है कि कुरान पाक की सर्वश्रेष्ठता, महानता के दृष्टिगत अदालतों में इसे चर्चा का विषय बनाने का कोई स्वरूप न अपनाएं. साथ ही अपने इस दृष्टिकोण पर दृढ़ता से कायम रहें कि किसी भी न्यायालय, सुप्रीम कोर्ट समेत और भारतीय संविधान के अधिकार क्षेत्र से कुरान पाक और तमाम धार्मिक पवित्र किताबें बाहर हैं.
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उन्होंने कहा कि हमें अपनी तरफ से ऐसा कोई रास्ता नहीं चुनना चाहिए जिससे अदालतों के लिए गुंजाइश निकलती हों. मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत सभी धर्मों के प्रमुखों का ध्यान आकर्षित करती है कि इसे सिर्फ़ पवित्र कुरआन मजीद पर हमला न समझा जाए बल्कि इस तरह से तमाम धर्मों के पवित्र किताबों पर हमले का मार्ग प्रशस्त होता है. इसलिए आवश्यक है कि सभी धर्म वाले बिना किसी भेदभाव के धर्म विरोधी तत्वों के विरुद्ध एकजुट हों और उनके इन इरादों को असफल बनाएं.
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