Schedule Caste के लिए रिज़र्व सीट इमामगंज असेंबली हलक़े में कुल वोटरों की तादाद 288861 है. इनमें से 149717 वोटर मर्द, 139134 वोटर ख़्वातीन और 10 वोटर थर्ड जेंडर हैं
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नदीम अहमद: मावनवाज़ों का गढ़ माना जाने वाला इमामगंज असेंबली हलक़ा Schedule Caste के लिए रिज़र्व सीट है. 1957 में बने इमामगंज असेंबली हलक़े के पहले इंतेख़ाब में रानीगंज के जमींदार अंबिका प्रसाद सिंह ने आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर लड़ते हुए कांग्रेस की ख़ातून लीडर चंंद्रावती देवी को हराकर इस सीट पर कब्जा किया था. दुसरे असेंबली इंतेख़ाब में भी अंबिका प्रसाद सिंह दूसरी बार ने स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर कांग्रेस के जगलाल महतों को हराया था. 1967 में इस सीट को Schedule Caste के लिए रिज़र्व कर दिया गया तब से लेकर अबतक इस सीट पर Schedule Caste के लीडर इस सीट की नुमाइंदगी कर रहे हैं. इमामगंज असेंबली हलक़ा औरंगाबाद लोकसभा में आता है जहाँ से बीजेपी के एमपी सुशील कुमार हैं.
इमामगंज सीट से मौजूदा एमएलए हैं जीतन राम मांझी
Schedule Caste के लिए रिज़र्व सीट इमामगंज असेंबली हलक़े में कुल वोटरों की तादाद 288861 है. इनमें से 149717 वोटर मर्द, 139134 वोटर ख़्वातीन और 10 वोटर थर्ड जेंडर हैं. इस हलक़े में कोयरी, मांझी, यादव और मुसलमानों की आबादी सबसे ज्यादा है. 2015 में इमामगंज में कुल 53 फ़ीसद वोट पड़े थे जिसमें हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के सद्र जीतन राम मांझी ने जनता दल यूनाइटेड के उदय नारायण चौधरी को 29408 वोटों के मार्जिन से हराया था।
इस असेंबली हलक़े के कई गावों में अभी भी बुनियादी सहूलियात का फ़ुक़दान है. पहाड़ी और जंगली इलाका होने की वजह से यह दहाइयों तक नक्सलियों की पनाहगाह बनी रही और यहां के लोग सैकड़ों नक्सली वारदात के गवाह बन चुके हैं.
इमामगंज में कब कौन जीता
1957 के पहले असेंबली इंतेख़ाब में आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर अम्बिका प्रसाद सिंह ने जीत हासिल की. फिर 1962 में अम्बिका प्रसाद सिंह दूसरी बार जीते मगर स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर. 1967 में कांग्रेस के डी राम, 1969 में संसोपा के ईश्वर दास, 1972 में कांग्रेस के अवधेश्वर राम, 1977 में जनता पार्टी के ईश्वर दास, 1980 और 1985 में कांग्रेस के श्रीचंद सिंह, 1990 में जनता दल के उदय नारायण चौधरी, 1995 में समता पार्टी के रामस्वरूप पासवान, 2000, फ़रवरी 2005, अक्टूबर 2005 और 2010 में उदय नारायण चौधरी। 2015 में जीतन राम मांझी ने जीत हासिल की.
क्या जीत बरक़रार रख पाएंगे मांझी या वापसी करेंगे उदय नारायण चौधरी
इमामगंज में जिस तरह से तरक़्क़ी की रफ़्तार होनी चाहिए वो आज़ादी के बाद से आजतक नहीं होपाई है. उदय नारायण चौधरी यहां से पांच बार इंतेख़ाब जीतकर एमएलए बन चुके हैं लेकिन फिर भी यहाँ बुनियादी सहूलियात का फ़ुक़दान है. असेंबली हलक़े में एक भी कॉलेज नहीं है. प्राइमरी से लेकर इंटर तक के सरकारी स्कूलों की हालत भी खराब है. रोज़गार के लिए लोगों को नक़ल मकानी करनी पड़ती है. इस सीट पर कुल 10 उम्मीदवार इंतेख़ाबी मैदान में हैं.जीतन राम मांझी और उदय नारायण चौधरी के अलावा एलजेपी की कुमारी शोभा सिन्हा लड़ाई का तीसरा कोण बना रही हैं. यहाँ के लोगों में नीतीश कुमार के तईं गुस्सा है ऐसे में मांझी पर कितना यक़ीन लोग करते हैं ये देखने वाली अहम बात होगी.
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