शाह और योगी दोनों ने झोंक दी थी ताकत, नाहिद की बहन इकरा ने नहीं चलने दिया जादू
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शाह और योगी दोनों ने झोंक दी थी ताकत, नाहिद की बहन इकरा ने नहीं चलने दिया जादू

Shamli Seats Data: शामली जिले की तीनों सीटों पर भारतीय जनता पार्टी कुछ खास कर दिखाना में नाकाम साबित हुई और गठबंधन के उम्मीदवारों ने यहां पर जीत का परचम लहराया.

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Kairana Vidhan Sabha Seat: कैराना पलायन का मुद्दा तो याद होगा. पिछले कुछ सालों से ये मुद्दा यूपी की सियासत में खूब गूंजा. 2022 के विधानसभा चुनाव में भी ये ज़ोर शोर से उठा. कैराना पलायन का शोर सिर्फ वेस्ट यूपी में नहीं था बल्कि पूरे प्रदेश में इसको बड़ा मुद्दा बनाया गया लेकिन इस मुद्दे का असर कैराना में ज्यादा खास नज़र नहीं आया और कैराना सीट से सपा के नाहिद हसन फिर से चुनाव जीत गए. नाहिद हसन दूसरी बार विधायक बने, हालांकि वो इस बार जेल से चुनाव लड़े.

गृह मंत्री अमित शाह ने कैराना से की थी यूपी चुनाव के प्रचार की शुरुआत
कैराना सीट बीजेपी के लिए कितनी अहम थी, इसका अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि इस सीट से ही गृह मंत्री अमित शाह ने यूपी में अपने प्रचार की शुरुआत की थी और वो घर-घर जाकर बीजेपी के लिए वोट मांगते नज़र आए थे. अमित शाह के अलावा सीएम योगी आदित्यनाथ भी यहां पर बीजेपी प्रत्याशी मृगांका सिंह के लिए वोट मांगने आए थे.

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कैराना में क्यों जीते नाहिद हसन?
कैराना में मुस्लिम वोटरों की तादाद अच्छी खासी है. इस बार आरएलडी गठबंधन ने नाहिद हसन को पहले से ज्यादा फायदा पहुंचाया. क्योंकि जाटों के अलावा किसान आंदोलन के असर की वजह से दूसरे किसानों का भी वोट मिला. नाहिद हसन को 1,30,792 वोट मिले जबकि बीजेपी उम्मीदवार मृगांका सिंह को 1,04,755 वोट मिले और नाहिद 26,037 वोटों से जीत गए. सपा-आरएलडी गठबंधन ने ना सिर्फ कैराना बल्कि शामली ज़िले की तीनों सीटों पर जीत हासिल की है.

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जेल में रहे नाहिद, इक़रा ने संभाला मोर्चा
नाहिद हसन का ताल्लुक़ सियासी खानदान से है. नाहिद के पिता मुनव्वर हसन सांसद थे. एक सड़क हादसे में उनकी मौत हो गयी थी. पिते के अलावा उनकी मां तबस्सुम भी सांसद रही है. यही वजह है कि जब चुनाव से पहले नाहिद को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया तो नाहिद की बहन इक़रा ने सियासी मोर्चा संभाला और चुनाव के दौरान जमकर प्रचार किया. इक़रा चुनावी प्रचार भी करती दिखीं तो वही रणनीति बनाने में भी आगे रही.

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