UP POLLS: इतनी सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी शिवसेना; पहली सूची की जारी
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UP POLLS: इतनी सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी शिवसेना; पहली सूची की जारी

UP Election 2022: संजय राउत ने यहां पत्रकारों से बातचीत में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर इल्जाम लगाया कि भाजपा अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर छापे मारने के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करती है और फिर इन अधिकारियों को चुनाव लड़ने के लिए टिकट देती है.

संजय राउत
संजय राउत

लखनऊः शिवसेना के सांसद संजय राउत (Sanajay Raut, Shivsena) ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारियों के वीआरएस लेकर राजनीतिक दलों में शामिल होने पर इन एजेंसियों की विश्वसनीयता पर शनिवार को सवाल उठाया है. साथ ही यह भी कहा कि उनकी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में 15 से 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी 50 से 60 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. बीस उम्मीदवारों की एक सूची उसने पहले ही जारी कर दी है.

भाजपा प्रतिद्वंद्वियों पर छापे मारने को जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करती है
राउत ने यहां पत्रकारों से बातचीत में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर इल्जाम लगाया कि भाजपा अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर छापे मारने के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करती है और फिर इन अधिकारियों को चुनाव लड़ने के लिए टिकट देती है. उनका इशारा राजेश्वर सिंह की तरफ था, जिन्होंने प्रवर्तन निदेशालय में संयुक्त निदेशक पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ली है और उन्हें भाजपा ने लखनऊ में सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया है. राउत ने कहा कि कोई ऐसी एजेंसी पर कैसे भरोसा कर सकता है, जिसका अधिकारी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ता है. 

भाजपा के इशारे पर उप्र में 15 उम्मीदवारों के नामांकन रद्द किए गए
पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादक संजय ने अपने उम्मीदवारों का नामांकन रद्द करने के लिए भाजपा सरकार की आलोचना की. उन्होंने आरोप लगाया है कि भाजपा के इशारे पर उप्र में लगभग 15 उम्मीदवारों के नामांकन रद्द कर दिए गए, क्योंकि पार्टी को हमारे उम्मीदवारों द्वारा उन सीटों पर हार का डर सता रहा है. हम अपने प्रयास जारी रखेंगे और चुनाव लड़ेंगे. शिवसेना सांसद ने एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी पर हालिया हमले की आलोचना करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था के लंबे दावे किए जाते हैं, कहा जाता है कि गैंगस्टरों का शासन समाप्त हो गया है, लेकिन जब राजनीतिक नेता उप्र आते हैं तो उन पर गोलियां बरसाई जाती हैं, इसका मतलब उप्र में कानून-व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है.’’ 

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