एक साल में 43वीं बार बंद हुई मस्जिद; लोगों ने कहा, "हमें फर्ज निभाने से रोका जा रहा"
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एक साल में 43वीं बार बंद हुई मस्जिद; लोगों ने कहा, "हमें फर्ज निभाने से रोका जा रहा"

यह लगातार 17वां शुक्रवार है, जब जामिया मस्जिद श्रीनगर में जुमे की नमाज अदा करने की इजाजत नहीं दी गई है, इससे स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी है. 

अलामती तस्वीर

श्रीनगरः जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में ऐतिहासिक श्रीनगर मस्जिद (Srinagar Masjid ) का प्रबंधन देखने वाली अंजुमन औकाफ जामिया मस्जिद (Anjuman Aufaq Jamiya Masjid) ने इबादतगाह में जुमे की नमाज की इजाजत (No permission for Friday Prayer) नहीं देने को लेकर जम्मू कश्मीर प्रशासन के फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया है. अंजुमन ने कहा कि प्रशासन मुसलमानों को जम्मू कश्मीर में इबादत के सबसे बड़े स्थान पर जुमे की नमाज अदा करने के अहम मजहबी फर्ज को निभाने से रोक रहा है. उसने एक बयान में कहा कि आज एक बार फिर घाटी के अलग-अलग हिस्सों से आए पुरुष, महिलाओं व बुजर्गों को जामिया मस्जिद श्रीनगर में जुमे की नमाज अदा करने से महरूम कर दिया गया.

‘तानाशाही व्यवहार’ से नाराजगी 
संगठन ने दावा किया कि यह इस साल 43वीं बार है, जब मस्जिद को जुमे की साप्ताहिक नमाज के लिए बंद किया गया है. अंजुमन ने कहा कि यह लगातार 17वां शुक्रवार है, जब जामिया मस्जिद श्रीनगर में जुमे की नमाज अदा करने की इजाजत नहीं दी गई है, जबकि दूर-दूर से नमाजी इस मस्जिद में जुमे की नमाज अदा करन पहुंचे थे. धार्मिक संगठन ने कहा कि वह अधिकारियों के ’तानाशाही व्यवहार’ से नाराज है.

मजहब में सरासर दखलअंदाजी है ये 
संगठन ने कहा कि जामिया मस्जिद श्रीनगर को एक नापाक योजना के तहत नमाज के लिए बंद रखा जा रहा है, जो कश्मीरी लोगों के लिए बेहद दर्दनाक और मजहब में सरासर दखलअंदाजी है. उसने कहा कि इस तरह के उपाय तथाकथित लोकतंत्र के समर्थकों के खोखले दावों को बेनकाब करते हैं. 

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