अस्पताल में नहीं मिला स्ट्रेचर तो बीमार शौहर को कंधे पर लादकर लाई महिला
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अस्पताल में नहीं मिला स्ट्रेचर तो बीमार शौहर को कंधे पर लादकर लाई महिला

सवाल यह है कि हकीकत में सरकार के ज़रिए दी जा रही सेवा इक्तेसादी (आर्थिक) तौर से कमजोर लोगों को मिल पाती है या नहीं?

अस्पताल में नहीं मिला स्ट्रेचर तो बीमार शौहर को कंधे पर लादकर लाई महिला

प्रतापगढ़: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के जिला अस्पताल से शर्मसार कर देने वाली तस्वीरें सामने आई हैं. यहां अस्पताल में एक खातून स्ट्रेचर ना मिलने की वजह से बीमार शौहर को कंधे पर बैठाकर इलाज कराने पहुंची. महिला का इल्ज़ाम है कि उसने अस्पताल के मुलाज़िमों से मदद भी मांगी लेकिन कोई भी उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया.  

सरकार मेडिकल सर्विसेज़ को बेहतर बनाने के लिए हर साल करोड़ों रुपए का बजट अलाट करती है ताकि मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए फ्री एंबुलेंस का भी इंतेज़ाम हो सके लेकिन सवाल यह है कि हकीकत में सरकार के ज़रिए दी जा रही सेवा इक्तेसादी (आर्थिक) तौर से कमजोर लोगों को मिल पाती है या नहीं?

शहर में किराए के मकान में रहने वाली शोभा बुनियादी तौर पर अमेठी जिले की रहने वाली है. उसका इल्ज़ाम है कि गुज़िश्ता जुमा को बीमार शौहर को अस्पताल में इलाज के लिए लेकर आई थी. इस दौरान वह मुलाज़िमों को मदद के लिए ढूंढती रही लेकिन किसी ने मदद नहीं की. खास बात यह है कि इलाज कराने के लिए पहुंचे तीमारदार भी बस देखते रहे, लेकिन कोई भी मदद के लिए नहीं आया.  

CMO पी.पी. पाण्डेय से जब इस मामले में जवाब मांगा गया तो उन्होंने बताया कि किसी भी अस्पताल में 6-8 स्ट्रेचर होते हैं और मरीजों की तादाद 500 से ज्यादा. लिहाजा लोगों को स्ट्रेचर का इंतजार करना पड़ता है. महिला बिना इंतजार किए ही शौहर को कंधे पर उठा कर ले आई होगी. जब पूछा गया कि कोई और उसकी मदद करने क्यों नहीं आया तो मेडिकल ऑफिसर ने कहा कि मदद मांगने पर जरूर मिलती. अस्पताल की इमरजेंसी में 2 वॉर्ड बॉय, 1 फार्मेसिस्ट और 1 स्वीपर होता है और काम बहुत ज्यादा होता है. अगर उनसे मदद मांगी गई होती तो मिलती जरूर. वह भी अपने ऑफिस में ही बैठते हैं.

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