महाराष्ट्र की 400 साल पुरानी इस परंपरा को सुप्रीम कोर्ट ने किया बहाल; देखें क्या बोले किसान ?
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महाराष्ट्र की 400 साल पुरानी इस परंपरा को सुप्रीम कोर्ट ने किया बहाल; देखें क्या बोले किसान ?

महाराष्ट्र में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने दलगत भावना से ऊपर उठ कर राज्य में बैलगाड़ी दौड़ बहाल करने की अनुमति देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का खैरमकदम किया है. उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने इसे ‘किसानों की जीत’ करार दिया है.

 

अलामती तस्वीर

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने महाराष्ट्र में 2017 से निषिद्ध बैलगाड़ी दौड़ (Bullock Cart Race) बहाल करने की जुमेरात को इजाजत दे दी. शीर्ष अदालत ने कहा कि पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम, 1960 के संशोधित प्रावधानों की वैधता और महाराष्ट्र द्वारा बनाए गए नियम, जो राज्य में बैलगाड़ी दौड़ (Bullock Cart Race) के आयोजन के लिए हैं, याचिकाओं के लंबित रहने तक क्रियान्वित होंगे क्योंकि पूरा विषय एक संविधान पीठ के पास भेजा गया है. न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार की तीन सदस्यीय पीठ ने इस बात का जिक्र किया कि तमिलनाडु और कर्नाटक के इसी तरह के संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शीर्ष अदालत ने कोई अंतरिम राहत नहीं दी थी. इन दोनों राज्यों में यह दौड़ आयोजित की जा रही है. पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र में भी संशोधित प्रावधानों के बारे में वही व्यवस्था लागू होनी चाहिए जो दो अन्य राज्यों में किए गए इसी तरह के संशोधन पर लागू है.

न्यायालय के फैसले का नेताओं ने खैरमकदम किया 
महाराष्ट्र में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने दलगत भावना से ऊपर उठ कर राज्य में बैलगाड़ी दौड़ बहाल करने की अनुमति देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का बृहस्पतिवार को खैरमकदम किया है.  उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने शीर्ष न्यायालय के इस फैसले को ‘किसानों की जीत’ करार दिया और कहा कि इस कदम से पशुओं के संरक्षण में मदद मिलेगी. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी शीर्ष न्यायालय के फैसले पर खुशी प्रकट की और दावा किया कि उन्होंने और उनकी पार्टी के अन्य नेताओं ने यह विषय केंद्र के समक्ष उठाया था. 

किसानों ने एक लंबी लड़ाई जीत ली है
अजीत पवार ने कहा कि प्रतिबंध हटाये जाने से, राज्य में अब बैलगाड़ी दौड़ बहाल हो सकती है, लेकिन उन्होंने किसानों से सभी नियम कायदों का अनुपालन करने की अपील की. उन्होंने कहा, ‘‘इस फैसले से, बैल पालने वाले किसानों ने एक लंबी लड़ाई जीत ली है. ’’उन्होंने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार, अन्य नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रतिबंध का कड़ा विरोध किया था. अजीत ने कहा कि महाविकास आघाडी सरकार ने इस अदालती लड़ाई को मजबूती दी. यह सफलता राज्य में किसानों के बीच नई स्फूर्ति का संचार करेगी.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में सहायक
बैलगाड़ी दौड़ के आयोजकों ने कहा कि शीर्ष न्यायालय की अनुमति मिलने के बाद राज्य के कई हिस्सों में, विशेष रूप से पश्चिमी महाराष्ट्र क्षेत्र में, जहां बैलगाड़ी दौड़ की 400 साल पुरानी परंपरा है, एक बार फिर लोगों को इस खेल का रोमांच देखने को मिल सकेगा. न्यायालय के फैसले के बाद पुणे जिले में उत्साहित बैलगाड़ी मालिकों ने अपने बैलों को सजाया और पटाखे जलाए. गांव के मेलों में बैलगाड़ी दौड़ एक मुख्य आकर्षण होता है और बैलगाड़ी संगठनों के मुताबिक ये आयोजन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में सहायक होते है. 

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