शिया मज़हबी रहनुमा कल्बे जव्वाद ने यह अर्ज़ी दाखिल की थी. अर्ज़ी में कहा गया था कि पूरी एहतियात के साथ जुलूस निकालने की इजाज़त दी जानी चाहिए जिस तरह जगन्नाथ पुरी यात्रा की इजाज़त दी गई थी.
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नई दिल्ली: मुहर्रम का जुलूस निकालने की इजाज़त मांगने वाली अर्ज़ी पर समाअत करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा इससे मुतअल्लिक कोई भी ऐसे हुक्म नहीं दिया जा सकता जो पुरी मुल्क पर लागू हो. अदालत ने कहा है कि मकामी इंतेज़ामिया हालात को देखकर ये फैसला लेता है.
शिया मज़हबी रहनुमा कल्बे जव्वाद ने यह अर्ज़ी दाखिल की थी. अर्ज़ी में कहा गया था कि पूरी एहतियात के साथ जुलूस निकालने की इजाज़त दी जानी चाहिए जिस तरह जगन्नाथ पुरी यात्रा की इजाज़त दी गई थी. जिसपर अदालत ने कहा कि मुहर्रम का जुलूस किसी मखसूस जगह पर नहीं होता. जहां पर अहतियात बरती जा सके और जगन्नाथ पुरी यात्रा का मामला एक खास जगह से जुड़ा है.
उन्होंने आगे कहा कि रथ यात्रा सिर्फ एक शहर में होनी थी और यह भी पहले से ही मालूम था कि यात्रा कहां से शुरू होकर कहां तक जाएगी लेकिन मुहर्रम का मामला इस तरह का नहीं है. इसलिए बेहतर यही होगा कि हर जगह का फैसला वहां के इंतेज़ामिया के ज़रिए लिया जाए. पूरे मुल्क के लिए कोई एक हुक्म नहीं दिया जा सकता. अगर ऐसा हुआ तो हालात बेकाबू हो सकते हैं.
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