Rajiv Gandhi Assassination Case: इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मरकज़ी हुकूमत से पूछा था कि 31 साल की सजा काट चुके एजी पेरारिवलन को रिहा क्यों नहीं किया जा सकता है?
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में दोषी और 36 लास से उम्र कैद की सजा काट रहे एजी पेरारिवलन को रिहा करने आदेश दे दिया है. इससे पहले कोर्ट ने दया याचिका को राष्ट्रपति के पास भेजने के राज्यपाल के कदम को खारिज कर दिया था. अदालत ने कहा कि राज्यपाल ने दोषी की दया याचिका के निपटारे में ज्यादा वक्त लिया.
दरअसल, पेरारिवलन ने कोर्ट में कहा था कि तमिलनाडु सरकार ने उसे रिहा करने का फैसला लिया, लेकिन राज्यपाल ने फ़ाइल को काफी समय तक अपने पास रखने के बाद राष्ट्रपति को भेज दिया. ये आइन के खिलाफ है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मरकज़ी हुकूमत से पूछा था कि 36 साल की सजा काट चुके एजी पेरारिवलन को रिहा क्यों नहीं किया जा सकता है? इस तमिलनाडु की हुकूमत ने कहा था कि केंद्र केवल कानून में स्थापित स्थिति को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब हम इससे कम मुद्दत की सजा काट रहे लोगों को रिहा कर सकते हैं तो पेरारिवलन को क्यों रिहा नहीं किया जा सकता है. अब आज कोर्ट ने अपना आखिरी फैसला सुनाते हुए रिहाई के हुक्म जारी कर दिए.
गौरतलब है कि इससे पहले 11 मई को हुई सुनवाई में केंद्र ने एजी पेरारिवलन की दया याचिका राष्ट्रपति को भेजने के तमिलनाडु के राज्यपाल के फैसले का सुप्रीम कोर्ट में बचाव किया था. हुकूमत ने कहा था कि केंद्रीय कानून के तहत दोषी ठहराए गए शख्स की सजा में छूट, माफी और दया याचिका के संबंध में याचिका पर केवल राष्ट्रपति ही फैसला कर सकते हैं.
बता दें कि पेरारीवलन फिलहाल जमानत पर रिहा है. उसने रिहाई के लिए याचिका डालकर कहा था कि वो 31 साल से जेल में बंद है, उसे रिहा किया जाना चाहिए. 2008 में तमिलनाडु कैबिनेट ने उसे रिहा करने का फैसला किया था, लेकिन राज्यपाल ने मामले को राष्ट्रपति के पास भेज दिया था, तभी से उसकी रिहाई का मामला लंबित था.
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