पॉल्यूशन तो तेज हवा से कम हुआ, आपने क्या किया? SC ने केंद्र से पूछा सवाल
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पॉल्यूशन तो तेज हवा से कम हुआ, आपने क्या किया? SC ने केंद्र से पूछा सवाल

Delhi Air pollution: सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि प्रदूषण पहले से कम हुआ है. इस पर सीजेआई ने कहा है कि प्रदूषण तेज हवाओं की वजह से कम हुआ है, ना कि सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की वजह से कम हुआ है.

पॉल्यूशन तो तेज हवा से कम हुआ, आपने क्या किया? SC ने केंद्र से पूछा सवाल

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में की हवा की गुणवत्ता में हालिया दिनों कुछ सुधार हुआ है. वायु प्रदूषण के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने हरफनामा दायर कर प्रदूषण कम करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी. 

दिल्ली सरकार ने हलफनामे में कही ये बात
दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि 21 नवंबर तक लगाई गई पाबंदियों को 26 नवंबर तक के लिए बढ़ा दिया गया है. इसके साथ ही पार्किंग का चार्ज तीन से चार गुना बढ़ाने की सिफारिश लोकल बॉडी अथॉरिटी को भेज दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि प्रदूषण पहले से कम हुआ है. इस पर सीजेआई ने कहा है कि प्रदूषण तेज हवाओं की वजह से कम हुआ है, ना कि सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की वजह से कम हुआ है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना ने सवाल किया कि आपने क्या किया है.

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सीजेआई ने कहा कि हम फिलहाल इस मामले को बंद करने नहीं जा रहे हैं. हम इस मामले में फाइनल आदेश बाद जारी करेंगे. भले ही प्रदूषण कम हो गया हो. हम इस मामले में लगभग रोजाना ही सुनवाई कर सकते हैं. 

सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह राष्ट्रीय राजधानी है. हम दुनिया को जो संकेत भेज रहे हैं, उसे देखिए. आप इन गतिविधियों को पहले से रोक सकते हैं ताकि गंभीर स्थिति भी न बने. आप वक्त रहते करवाई क्यों नही करते है , दिल्ली हर बार यह मुसीबत क्यो झेले

SC ने कहा कि केंद्र को हर साल अलग-अलग मौसमों में औसत वायु प्रदूषण के स्तर को निर्धारित करने के लिए पिछले पांच साल के आंकड़ों के आधार पर एक वैज्ञानिक मॉडल तैयार करना चाहिए और परिवेशी वायु गुणवत्ता को बिगड़ने से रोकने के लिए 'गंभीर वायु प्रदूषण' दिनों के अनुमानित दिनों से पहले कदम उठाना चाहिए. सीजीआई ने ये भी कहा कि क्या यह दिखाने के लिए कोई अध्ययन है कि पंजाब, यूपी, हरियाणा से कितना पराली हटाया गया है? उत्सर्जन के कौन से तरीके अपनाए गए हैं?

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जीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने ये भी कहा कि आप एक सरकारी वकील के तौर पर और हम जज इस पर चर्चा कर रहे हैं. नौकरशाही क्या कर रही है? वे खेतों में जाकर किसानों से बात कर सकते हैं और निर्णय ले सकते हैं. वैज्ञानिकों को शामिल करें. ऐसा क्यों नहीं हो सकता.

गौरतलब है कि इस मामले की पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के इस सुझाव को मान लिया था कि दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण मामले पर कोई आदेश देने से पहले कोर्ट 21 नवंबर तक इंतजार किया जाए. केंद्र का कहना था कि दीवाली में प्रतिबंध के बावजूद पटाखों के चलते प्रदूषण में इजाफा हुआ है और इसके अलावा मौसम विभाग की रिपोर्ट है कि उसके बाद से स्थितियों में सुधार होना शुरू होगा. कोर्ट ने कहा था कि अब रिपोर्ट के साथ सुनवाई होगी.

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