Supreme Court on Nimisha Priya: केरल की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया को यमन की अदालत ने 2017 में एक नागरिक की हत्या के मामले में फांसी की सजा सुनाई थी. निमिषा को किसी भी वक्त फांसी दी जा सकती है. भारतीय नर्स को बचाने के लिए इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दाखिल की थी, लेकिन आज सुनवाई टल गई है.
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Supreme Court on Nimisha Priya: केरल की रहने वाली निमिषा प्रिया को यमन में मौत की सजा सुनाई गई है और उसकी फांसी कई बार टल चुकी है. इस बीच, इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल ने निमिषा प्रिया को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस याचिका पर आज सुनवाई नहीं हुई. अगली सुनवाई जनवरी 2026 में होगी. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि इस मामले में एक नया मीडिएटर सामने आया है. साथ ही अभी तक कोई प्रतिकूल बात नहीं हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2026 को सुनवाई तय करते हुए कहा कि अगर इस बीच कोई नया डेवलपमेंट हो तो अदालत से सुनवाई की मांग की जा सकती है.
निमिषा प्रिया को बचाने के लिए सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. निमिषा के वकील ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को आदेश दे कि वह डिप्लोमेटिक चैनल के जरिए यमन सरकार से बात करे और फांसी पर जल्द से जल्द रोक लगाई जाए.
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि नर्स निमिषा प्रिया को यमन की अदालत ने 2017 में एक नागरिक की हत्या के मामले में फांसी की सजा सुनाई थी. 16 जुलाई 2025 को निमिषा को फांसी दी जानी थी, हालांकि उनकी फांसी की सजा अस्थायी रूप से स्थगित कर दी गई थी. इसके बाद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों ने सरकार से अपील की कि वह इस मामले में राजनयिक और कानूनी प्रयासों के जरिए निमिषा की रिहाई सुनिश्चित करे या उनकी सजा को कम कराए.
निमिषा प्रिया की रिहाई के लिए इस संगठन ने सरकार से लगाई थी गुहार
निमिषा प्रिया की रिहाई के लिए 'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' ने केंद्र सरकार से एक प्रतिनिधिमंडल के यमन जाने की अनुमति मांगी थी, ताकि यमन के कानून के अनुसार पीड़ित परिवार से क्षमादान मिल सके. हालांकि, विदेश मंत्रालय ने पहले यमन में गंभीर सुरक्षा जोखिमों का हवाला देते हुए काउंसिल के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था. मंत्रालय ने काउंसिल को सूचित किया था कि वह वर्तमान परिस्थितियों में युद्धग्रस्त देश की यात्रा की मंजूरी नहीं दे सकता, क्योंकि यमन में सशस्त्र संघर्ष और राजनीतिक अस्थिरता के कारण वहां किसी को भेजना बेहद खतरनाक है.
इनपुट-आईएएनएस