आंखे न होने के बावजूद बड़े-बड़े केस लड़ता है यह वकील, जानिए कैसे तय किया सफर
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आंखे न होने के बावजूद बड़े-बड़े केस लड़ता है यह वकील, जानिए कैसे तय किया सफर

जम्मू हाई कोर्ट में साढ़े तीन हज़ार से ज्यादा वकील हैं और सूरज सिंह एक ऐसा वकील है जिसकी आंखें नहीं हैं. सूरज सिंह का जन्म कठुआ की तहसील लोहाई मलाल में हुआ.

आंखे न होने के बावजूद बड़े-बड़े केस लड़ता है यह वकील, जानिए कैसे तय किया सफर

 

जम्मू/जतिंदर नूरा: एक ऐसा शख्स जिस ने आंखें ना होते हुए भी अपने सपनों को साकार कर लिया. आज जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट में एक मात्र ऐसा वकील है जिसकी आंखें नहीं हैं लेकिन फिर भी अन्य वकीलों से किसी भी तरह कम नहीं है. वो बाकी वकीलों की तरह बड़े-बड़े मुकदमे लड़ने की ताकत रखते हैं. हर कोई वकील सूरज सिंह के हौसलों को सलाम करता है.

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जम्मू हाई कोर्ट में साढ़े तीन हज़ार से ज्यादा वकील हैं और सूरज सिंह एक ऐसा वकील है जिसकी आंखें नहीं हैं. सूरज सिंह का जन्म कठुआ की तहसील लोहाई मलाल में हुआ. सूरज सिंह के माता-पिता गांव में जमींदारी करते हैं. अच्छी शिक्षा पाने के लिए सूरज ने जम्मू का रुख किया और जम्मू में रह कर लॉ की पढ़ाई की. जम्मू में रहने के लिए इन्हें बहुत ज्यादा संगर्ष करना पड़ा. एक तो आंखों से दिखाई नहीं देता और पढ़ने के लिए कॉलेज जाना भी काफी मुश्किल होता था. 

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"मेरे दोस्तों जैसा कोई नहीं"
सूरज सिंह का उनके दोस्तों ने बहुत साथ दिया. जब दोस्तों का साथ मिला तो उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. सूरज के दोस्त उन्हें घर से कॉलज ले जाते और जैसे-जैसे लॉ की पढ़ाई करते रहे वैसे-वैसे जिंदगी की लड़ाई भी आगे बढ़ती गयी. दोस्तों का साथ भी गहरा होता गया. दोस्तों की बदौलत ही सूरज सूरज सिंह वकील बना. जब भी सूरज अपने दोस्तों का जिक्र करते हैं तो भावुक हो जाते हैं और कहते हैं कि मेरे दोस्तों जैसा कोई नहीं, जिन्होंने पढ़ाई से लेकर रास्तों के सफर तक मेरा साथ दिया.

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सरकार से नाराज हैं सूरज
सूरज को सरकार से कई शिकायतें हैं. उनका कहना है सरकार को उन लोगों के लिए आगे आना चाहिए जिन्हें समाज में कोई जगह नहीं दी जाती  और उनकी जिंदगी अंधेरे में गुजर जाती है. इस तरह के लोगों में से बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो खुद कोशिश करते हैं और आगे बढ़ते हैं. एक ऐसा व्यक्ति जिस में हर वह करने का जज्बा है जो एक साधरण व्यक्ति कर सकता है उसे बस थोड़े से सहारे की जरूरत होती है. उस थोड़े से सहारे की बदौलत ही वह अपने सपनो की साकार कर लेता है. 

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