Places Of Worship Act: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार, 12 दिसंबरो को प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई. तीनों जजों की स्पेशल बेंच ने अगले आदेश तक लंबित मुकदमों में अदालतों को कोई प्रभावी अंतरिम या अंतिम आदेश पारित नहीं करने का निर्देश दिया है. CJI संजीव खन्ना ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी किया कि इस मामले की अगली सुनवाई तक मंदिर-मस्जिद और दरगाहों के सर्वे से जुड़ा कोई भी नया मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा . अब इस पर ज्ञानवापी मामले से जुड़े लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और वे शीर्ष अदालत के इस आदेश से खुश नहीं हैं.


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ज्ञानवापी मामले की पिटीशनर मंजू व्यास ने इस आदेश पर निराशा जताते हुए कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने 4 हफ्ते की जो रोक लगाई है, इसके बाद हम अपने वकील विष्णु शंकर जैन से बातकर इस पर आगे विचार करेंगे. इससे हम निराश नहीं होंगे. सच्चाई कभी हारती नहीं है। सच्चाई की हमेशा जीत होती है। यह तो छोटी सी लड़ाई है, पूरी लड़ाई अभी बाकी है."


एक दूसरे याचिकाकर्ता सीता साहू ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से हम लोगों में उदासी तो है. लेकिन, हमारे जो वकील  हैं, विष्णु शंकर जैन और यहां सिविल वकील सुभाष त्रिपाठी उन लोगों से हम लोग बात करके आगे का रास्ता निकालेंगे."


"सुप्रीम कोर्ट के हुक्म पर आपत्तियां हैं": हिंदू पक्ष के वकील
वहीं, हिंदू पक्ष के वकील सुभाष त्रिपाठी ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने जो हुक्म दिया है कि चार सप्ताह तक मुकदमें नहीं दाखिल होंगे या दाखिल होते भी हैं तो निचली अदालत उस पर कोई आदेश नहीं पारित करेगी. इस पर हमें आपत्तियां हैं और उसको दर्ज कराएंगे. उस फैसले का विरोध भी करेंगे. सुप्रीम कोर्ट में उसे 4 सप्ताह के लिए लागू किया गया है. हमारी यूनिट के जो हेड हैं, हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन उनसे सलाह के बाद हम आगे की कार्रवाई करेंगे. अगर आदेश हमारे लिए गलत है तो हम उसका विरोध करेंगे."


केंद्र को चार सप्ताह का वक्त
बता दें कि, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली पिटीशन्स पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को अपना हलफनामा दाखिल करना का निर्देश दिया है और केंद्र को चार सप्ताह में याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. कोर्ट ने कहा कि जब तक इस मामले में केंद्र का जवाब नहीं आता, तब तक मामले की पूरी सुनवाई संभव नहीं है.