कृषि कानूनों के खिलाफ चलने वाले आंदोलन के दौरान देश में कई दूसरे विवाद भी सामने आए. इस दौरान कई शब्द गढ़े गए तो कई विदेशी और नए शब्दों से लोगों का परिचय हुआ. आंदोलन के समर्थन की वजह से कई विदेशी सेलिब्रिटी का नाम भी भारत में लोगों की जुबान पर चढ़ गया.
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नई दिल्लीः केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान कई विवाद भी जुड़े रहे. एक तरफ जहां जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और पॉप गायिका रिहाना जैसे लोग भारत के मुख्य विमर्श में शामिल हुए, तो दूसरी तरफ ‘टूलकिट’ और ’आंदोलनजीवी’ जैसे शब्दों को भारतीय राजनीतिक शब्दकोष में प्रमुखता से स्थान मिला. किसानों ने तीन कृषि कानूनों का विरोध करते हुए पिछले साल 28 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर डेरा डाल दिया था. इस दौरान किसानों को पानी की बौछारों का सामना करना पड़ा, सड़कों को जाम करने से लेकर गणतंत्र दिवस पर हिंसा और किसानों को कथित रूप से कुचलने जैसे कई नाटकीय क्षण भी देखने को मिले.
लाल किले पर फहरा दिया धार्मिक झंडा
किसान आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में अभूतपूर्व नजारे देखे गए. किसान संगठनों द्वारा गणतंत्र दिवस पर आयोजित ट्रैक्टर परेड रैली के दौरान प्रदर्शनकारियों की पुलिस से भिड़ंत हुई. कई प्रदर्शनकारी लाल किले तक पहुंच गए और उनमें से कुछ ने इसके गुंबदों पर धार्मिक झंडे फहरा दिए. इस दौरान सुरक्षाकर्मियों सहित सैकड़ों लोग घायल हो गए और ट्रैक्टर के पलट जाने से एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई.
चर्चा में आईं जलवायु कार्यकर्ता थनबर्ग और पॉप स्टार रिहाना
गणतंत्र दिवस पर हिंसा के तत्काल बाद, जलवायु कार्यकर्ता थनबर्ग और पॉप स्टार रिहाना का राष्ट्रीय विमर्श में प्रवेश हुआ और उन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को समर्थन दिया. भारत ने विदेशी हस्तियों और अन्य लोगों की टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. थनबर्ग ने उन लोगों के लिए एक ’टूलकिट’ भी साझा किया था, जो किसानों की मदद करना चाहते थे.
'टूलकिट’ विवाद ने पकड़ा तूल
जल्द ही ’टूलकिट’ मुद्दा बड़े पैमाने पर विवाद में बदल गया और दिल्ली पुलिस ने भारत की छवि खराब करने की कोशिश करने के इल्जाम में कई लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की. इसी दौरान जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को किसानों के आंदोलन से जुड़े ‘टूलकिट’ को सोशल मीडिया पर साझा करने में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी.
‘आंदोलनजीवी’ और “जुमला जीवी” जैसे शब्दों का हुआ इस्तेमाल
‘टूलकिट’ विवाद के अलावा फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, संसद में उन लोगों पर हमला बोला, जो विरोध प्रदर्शन के पीछे थे. मोदी ने कहा कि देश में ‘आंदोलनजीवी’ नामक आंदोलनकारियों की एक नयी ‘प्रजाति’ उभरी है, जो बिना आंदोलन के नहीं रह सकते हैं और राष्ट्र को उनसे बचाना चाहिए. कांग्रेस ने मोदी पर उनकी “आंदोलनजीवी” टिप्पणी के लिए जवाबी हमला किया था और उन्हें “जुमला जीवी” कहा था.
हरियाणा में किसानों को लेकर विवादों में आया आईएएस अफसर
आंदोलन के दौरान ही हरियाणा कैडर के आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी आयुष सिन्हा का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद विरोध प्रदर्शन से जुड़ा एक और विवाद खड़ा हो गया था, जिसमें उन्होंने आंदोलन करने वाले किसानों को कथित तौर पर पीटने का पुलिसकर्मियों को निर्देश दिया था.
लखीमपुर खीरी में किसानों की कुचल कर हत्या
आंदोलन के दौरान उस समय भारी विवाद पैदा हो गया, जब उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के गृह क्षेत्र के तिकोनिया इलाके में तीन अक्टूबर को एक वाहन द्वारा कथित रूप से कुचले जाने के बाद चार किसानों की मौत हो गई. इसके बाद भीड़ द्वारा चार लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई.
कृषि कानून लिया गया वापस
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार की सुबह मुल्क को खिताब करते हुए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 को रद्द करने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि इन कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पूरी कर ली जाएगी.
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