मुल्क के दारुल-हुकूमत नई दिल्ली में एक लाश 7 दिनों से अपनी आखिरी रसूमात का इंतेज़ार कर रही है लेकिन लॉकडाउन और घर की खराब हालत के चलते परिवार लाश को अपने आबाई गांव ले जाने के अहल नहीं है जिसके बाद परिवार ने खुद पुलिस को खत लिख कर कहा है कि वो लाश की आखिरी रसूमात को अंजाम दे दे. द
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नई दिल्ली: मुल्क के दारुल-हुकूमत नई दिल्ली में एक लाश 7 दिनों से अपनी आखिरी रसूमात का इंतेज़ार कर रही है लेकिन लॉकडाउन और घर की खराब हालत के चलते परिवार लाश को अपने आबाई गांव ले जाने के अहल नहीं है जिसके बाद परिवार ने खुद पुलिस को खत लिख कर कहा है कि वो लाश की आखिरी रसूमात को अंजाम दे दे.
दरअसल दिल्ली के प्रतापबाग इलाके के रहने वाले एक दिहाड़ी दार मज़दूर सुनील की 13 अप्रैल की रात मौत हो गई थी. मौत की वजह चिकन पॉक्स बताई जा रही है. सुनील कुछ दिनों से बीमार था लेकिन मुल्क भर में लॉकाडाउन के चलते वो अपने आबाई गांव गोरखपुर के डुमरी खुर्द नहीं जा सका. सुनील के परिवार को सुनील की मौत की खबर पुलिस के ज़रिए मिली.
बता दें कि सुनील अपने पीछे अपनी अहलिया और पांच बच्चों को छोड़ गया है. पांच बच्चों में चार लड़कियां और लड़का है, सभी नाबालिग हैं. सुनील घर में वाहिर ऐसे शख्स था जो कमाता था. परिवार की हालत ऐसी है कि सुनील की अहलिया लाश लेने के लिए दिल्ली तक नहीं आ सकती, लॉकडाउन में गांव से किसी को भेजा भी नहीं जा सकता है. जिसके बाद सुनील की अहलिया ने तहसीलदार और मकामी इंतेज़ामिया की मदद से दिल्ली पुलिस से मेल के ज़रिए राब्ता कर लाश की आखिरी रसूामात अंजाम देने की गुज़ारिश की है.
वहीं दिल्ली पुलिस कानूनी अमल के इंतज़ार में है जिसके बाद ही उसकी आखिरी रसूमात को अंजाम दिया जा सकेगा. ऐसे में सवाल ये खड़ा होता है कि क्या किसी सरकारी मदद के ज़रिए सुनील की लाश को उसके परिवार तक नहीं पहुंचाया जा सकता? ताकि सुनील की अहलिया और बच्चे उसको आखिरी बार देख सकें.
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