योगी हुकूमत की इस कार्रवाई ने बढ़ाईं डॉ कफील की मुश्किलें
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योगी हुकूमत की इस कार्रवाई ने बढ़ाईं डॉ कफील की मुश्किलें

डॉ कफील की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं, यूपी हुकूमत ने डॉ कफील पर NSA के तहत कार्रवाई की है

योगी हुकूमत की इस कार्रवाई ने बढ़ाईं डॉ कफील की मुश्किलें

योगी हुकूमत ने डॉ कफील पर शिकंजा कस दिया. डॉ कफील के खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई की गई.ये कार्रवाई उस दौरान की गई जब कफील जमानत पर रिहा होने वाले थे.NSA लगने से डॉ कफील की मुश्किलात काफी बढ़ गई हैं। AMU में इश्तेआल अंगेज़ तक़रीर के इल्ज़ाम में गिरफ़्तार डॉ कफील को मथुरा जेल से रिहा नहीं किया गया....CJM कोर्ट के रिहाई के हुक्म के बाद भी डॉ कफील को देर रात का हवाला देते हुए मथुरा जेल से रिहा नहीं किया गया

क्या है नेश्नल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) / रासुका

23 सितंबर, 1980 को इंदिरा गांधी की हुकूमत के दौरान इस एक्ट को बनाया गया था. NSA  मुल्क की सिक्योरिटी के लिए सरकार को ज़्यादा ताक़त देने से मुताल्लिक़ एक कानून है. यह एक्ट मरकज़ी और रियासती हुकूमत को किसी भी मुश्तबा शहरी को हिरासत में लेने की ताक़त देता है.रासुका का मतलब नेश्नल सिक्योरिटी एक्ट (National security act ) है. इसमें हिरासत में लिए शख़्स को ज़्यादा से ज़्यादा एक साल जेल में रखा जा सकता है।

 

CJM कोर्ट ने मंजूर की थी ज़मानत अर्ज़ी 

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इश्तेआल अंगेज़ तकरीर करने के इल्ज़ाम में मुजरिम बनाए गए डॉ. कफील खान की जमानत अर्ज़ी पीर को सीजेएम कोर्ट में मंजूर हो गई। STF ने डॉ कफील को मुंबई से गिरफ्तार किया था। अलीगढ़ में पुर कशीदा माहौल के मद्देनज़र कफील को मथुरा जेल में रखा गया था।

कहां से शुरू हुआ मामला

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में 12 दिसंबर 2019 को इश्तेआल अंगेज़ तक़रीर करने के मामले में मुजरिम बनाए गए डॉ. कफील को यूपी STF ने  देर रात मुंबई से गिरफ्तार कर लिया है।डॉ कफील के खिलाफ अलीगढ़ के सिविल लाइन्स थाने में मकामी पुलिस ने FIR दर्ज कराई थी, जिसमें उन पर सीएए की मुखालिफत करने के दौरान इश्तेआल अंगेज़ तक़रीर और मज़हबी एहसासात भड़काने का इल्ज़ाम लगाया है।जहां माहौल को देखते हुए एक घंटे के अंदर 14 दिन की अदालती हिरासत में मथुरा जेल भेज दिया था। इससे पहले भी कफील खान को 2017 में बीआरडी (BRD) कॉलेज में बच्चों की मौत के मामले में सस्पेंड कर दिया गया था।

डॉक्टर कफील पर क्या थे इल्ज़ाम

दरअसल 12 दिसंबर 2019 की शाम करीब 6.30 बजे डॉ. कफील ने एएमयू में करीब 600 तलबा की भीड़ को खिताब किया था. इस दौरान उसने अपनी तकरीर में मुस्लिम तलबा को उनकी मज़हबी जज़्बात को भड़काने और दूसरे मज़हब को लेकर नफ़रत पैदा करने की कोशिश की थी. उन्होंने अपने खिताब में वज़ीरे दाखिला अमित शाह पर भी बयानबाजी की थी। डॉ कफील की तकरीर को मकामी पुलिस ने रिकार्ड भी किया था.

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