OBC Bill की हिमायत में आईं काग्रेंस समेत ये विपक्षी पार्टियां, मल्लिकार्जुन खड़गे ने किया ऐलान
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OBC Bill की हिमायत में आईं काग्रेंस समेत ये विपक्षी पार्टियां, मल्लिकार्जुन खड़गे ने किया ऐलान

मरकज़ी हुकूमत आज मॉनसून सेशल के आखिरी हफ्ता के पहले दिन 127वां आइनी तरमीमी बिल पेश करेगी. इस बिल के पास होने के बाद रियासतों को अपनी ओबीसी लिस्ट (OBC List) बनाने का हक हासिल होगा.

विपक्ष ने साझा बैठक में लिया फैसला

नई दिल्ली: मरकज़ी हुकूमत ने आज लोक सभा में 127वां आइनी तरमीमी बिल (127th Constitution Amendment Bill) पेश करेगी. वहीं, इस बिल का राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने हिमायत का ऐलान किया है. खड़गे ने कहा कि तमाम अपोज़िशन जमातें इस आइनी तरमीमी बिल की हिमायत करेगी.

क्या है 127वां आइनी तरमीमी बिल
मरकज़ी हुकूमत आज मॉनसून सेशल के आखिरी हफ्ता के पहले दिन 127वां आइनी तरमीमी बिल पेश करेगी. इस बिल के पास होने के बाद रियासतों को अपनी ओबीसी लिस्ट (OBC List) बनाने का हक हासिल होगा. हाल में ही कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी अता की थी. मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने कहा, 'तमाम अपोज़िशन जमातें आज संसद में पेश किए जा रहे 127वें आइनी तरमीमी बिल 2021 की हिमायत करेंगी.'

इन पार्टियों ने किया है हिमायत का ऐलान
गौरतलब है कि सोमवार को पार्लियामेंट के इहाते में ही अपोज़िशन जमातों की बैठक हुई, इस मीटिंग में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी हिस्सा लिया. जो दल इस बैठक में शामिल हुए और जिन्होंने ओबीसी से जुड़े तरमीमी बिल पर हिमायत की बात की है, उनमें कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी, एनसीपी, शिवसेना, सपा, सीपीएम, राजद, आप, सीपीआई, नेशनल कॉन्फ्रेंस , मुस्लिम लीग, लोजद, आरएसपी, केसी (एम) शामिल हैं. 

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इस साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक
याद रहे कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इसी साल 5 मई को कहा था कि सिर्फ मरकज़ी हुकूमत को ही दूसरे पिछड़ा वर्ग की सूची (OBC List) बना सकती है. हालांकि मरकज़ी हुकूमत ने इसकी मुखालिफत की थी. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सरकार आइनी तरमीम के जरिए पलटने जा रही है. संसद से आइन के अनुच्छेद 342-ए और 366(26)-सी के तरमीम पर मुहर लगाने बाद रियासतों के पास फिर से ओबीसी सूची (OBC) में जातियों को अधिसूचित करने का हक हासिल होगा.

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यह बिल 102वें संवैधानिक संशोधन विधेयक में कुछ प्रावधानों को साफ करने का कोशिश करता है, ताकि पिछड़े वर्गों की पहचान करने के लिए रियासतों की ताकत को बहाल किया जा सके. इसकी मांग कई क्षेत्रीय दलों और यहां तक कि सत्ताधारी पार्टी के ओबीसी नेताओं ने भी की थी.

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