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सूडान का अल-फशर बना कब्रिस्तान, महिलाओं पर जुल्म और बच्चों की हत्या जारी

Sudan Violence News: सूडान में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. अल-फशर शहर रैपिड सपोर्ट फोर्स के कब्जे में है, जहां महिलाओं और बच्चों समेत सैकड़ों नागरिकों की हत्या और अत्याचार की घटनाएं जारी हैं. संयुक्त राष्ट्र ने इसे गंभीर मानवाधिकार संकट बताया है.

सूडान का अल-फशर बना कब्रिस्तान, महिलाओं पर जुल्म और बच्चों की हत्या जारी

Sudan Violence: सूडान में हिंसा का दौर जारी है. हजारों की संख्या में लोग मारे गए हैं. जबकि लाखों लोग घर से बेघर हो गए हैं. सूडान का अल-फशर शहर एक सप्ताह से रैपिड सपोर्ट फोर्स के नियंत्रण में है. वहां आम लोगों को पकड़कर मार देने और महिलाओं के साथ अत्याचार किए जाने की घटनाएं अब भी जारी हैं. संयुक्त राष्ट्र के मानवीय कार्यकर्ताओं ने यह जानकारी दी.

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को उत्तरी दारफुर राज्य की राजधानी में महिलाओं और बच्चों सहित नागरिकों के खिलाफ अपराधों की रिपोर्ट मिली है.

ओसीएचए के मुताबिक, कथित तौर पर सैकड़ों नागरिक मारे गए हैं, जिनमें मानवीय कार्यकर्ता भी शामिल हैं. बड़ी संख्या में लोग शहर के अंदर फंसे हुए हैं और बाहरी दुनिया से उनका कोई संपर्क नहीं है. जीवन रक्षक सहायता की डिलीवरी अभी भी आरएसएफ द्वारा रोकी जा रही है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत उनका दायित्व है कि वे ऐसी राहत को तेजी से और बिना रुकावट के आगे बढ़ने दें.

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अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) ने बताया है कि 26 अक्टूबर को शहर के पतन के बाद से लगभग 71,000 लोग एल फशर और आसपास के इलाकों से पलायन कर चुके हैं, जिनमें से ज्यादातर 40 किलोमीटर दूर तवीला शहर के भीड़भाड़ वाले शिविरों में चले गए हैं. कई नए लोगों ने रास्ते में हत्याओं, अपहरण और यौन हिंसा की भी शिकायत की है.

ओसीएचए ने कहा कि तवीला में हालात बेहद खराब हैं, परिवार खुले में या अस्थायी आश्रयों में रह रहे हैं, अन्न के भंडार खत्म हो रहे हैं और स्वच्छ पानी की कमी है. संयुक्त राष्ट्र और उसके सहयोगी आपातकालीन सहायता प्रदान कर रहे हैं, जिसमें दैनिक भोजन, स्वास्थ्य सेवा, पानी, स्वच्छता, पोषण और मनोवैज्ञानिक सहायता शामिल है, लेकिन धन की कमी के कारण ये प्रयास जरूरतों का केवल एक अंश ही पूरा कर पाते हैं."

कार्यालय ने कहा कि कोर्डोफन क्षेत्र में हिंसा भी तेजी से बढ़ी है, जिससे बड़े पैमाने पर विस्थापन और नागरिक कष्ट झेल रहे हैं. साथ ही उत्तरी कोर्डोफन के बारा इलाके में नागरिकों की कथित तौर पर हत्या सहित गंभीर उल्लंघनों की खबरें आई हैं. आईओएम ने कहा कि 26 से 31 अक्टूबर के बीच, बारा, उम रवाबा और आसपास के गांवों से लगभग 37,000 लोग विस्थापित हुए. नागरिक बढ़ती असुरक्षा, खाद्यान्न की कमी और बुनियादी ढांचे के विनाश का सामना कर रहे हैं.

ओसीएचए ने कहा कि साल में सिर्फ दो महीने बाकी हैं, लेकिन सूडान के लिए बनाए गए 2025 के सहायता प्लान में पैसे की भारी कमी है. अभी तक केवल 28 प्रतिशत धनराशि ही मिली है, जिसमें आवश्यक 4.16 अरब डॉलर में से 1.17 अरब डॉलर ही प्राप्त हुए हैं. सूडान में चल रहे संघर्ष में फंसे लाखों लोगों की मदद के लिए तुरंत और बिना किसी रोक-टोक के फंड (पैसा) की जरूरत है.

इनपुट-आईएएनएस

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