मंगल के रोज़ कोरोना से हो रही मौतों पर फिक्र ज़ाहिर करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि हुकूमती अमला सड़कों पर लोगों को बेवजह निकलने, बाजारों में भीड़ इकट्ठा होने और सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से अमन करा सकने में नाकाम साबित हुआ है.
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मो. गुफरान/प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के लॉकाडउन के सुझाव पर योगी हुकूमत ने गौर करने की बात कही है. हालांकि हुकूमत की जानिब से ये दलील दी गई है कि कोरोना के मामलों में उत्तर प्रदेश के हालात मुल्क दूसरे सूबों के मुकाबले बेहतर हैं, ऐसे में लॉकडाउन जैसे हालात नहीं हैं.
यूपी हुकूमत के तरजुमान और कैबिनेट मिनिस्टर सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा, ''आबादी के हिसाब से सूबे के हालात काफी बेहतर हैं. पूरे मुल्क में सबसे कम मौत शरह उत्तर प्रदेश में है. हुकूमत ने तमाम इंतेज़ामात कर रखे हैं. ऐसे में यहां लॉकडाउन की कोई ज़रूरत महसूस नहीं हो रही है.'' अदालत की नाराज़गी और लॉकडाउन के मशविरे पर जवाब देते हुए सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट के मशविरे को सीधे तौर पर नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता. हुकूमत वक्त रहते इस पर गौर करेगी और मुनासिब फैसला लेगी. उन्होंने यह भी इशारा दिया कि हुकूमत दूसरे मुतबादल पर भी गौर कर सकती है.
मंगल के रोज़ कोरोना से हो रही मौतों पर फिक्र ज़ाहिर करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि हुकूमती अमला सड़कों पर लोगों को बेवजह निकलने, बाजारों में भीड़ इकट्ठा होने और सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से अमन करा सकने में नाकाम साबित हुआ है. यही वजह है कि कई शहरों में कोरोना के मामलों में तेज़ी से इज़ाफा देखने को मिल रहा है. हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस ने मास्क न लगाने वालों व सोशल डिस्टेंसिंगग पर अमल न करने वालों पर जुर्माना लगाया, फिर भी लोग ज़िंदगी की परवाह नहीं कर रहे हैं.
कोर्ट ने कहा कि हुकूमत को वायरस का फैलाव रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए. हमारी राय में लॉकडाउन से कम कोई मुतबादल वायरस को रोकने में कारगर साबित नहीं होगा.
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