SC ने आगे कहा कि इसमें यूपी हुकूमज के ज़रिए पहले से मुकर्रर किए गए इलाहाबाद HC के जज शामिल होंगे. जांच पैनल में एक रिटायर्ड पुलिस अफसर भी होना चाहिए
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नई दिल्ली: विकास दुबे एनकाउंटर की आला सतही जांच कराने की मांग करने वाली अर्जियों पर समाअत करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश हुकूमत के ज़रिए बनाई जुडिशियल कमेंटी की तश्कीले नो करने को कहा है. CJI ने कहा कि अदालत हुकूमत के ज़रिए बनाई गई कमेटी में एक सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज और एक रिटायर्ड पुलिस अफसर को जोड़ना चाहता है.
अदालत ने यूपी हुकूमत से पूछा कि क्या वो रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज की सदारत में जुडिशियल कमीशन बनाने के लिए तैयार है? SC ने आगे कहा कि इसमें यूपी हुकूमज के ज़रिए पहले से मुकर्रर किए गए इलाहाबाद HC के जज शामिल होंगे. जांच पैनल में एक रिटायर्ड पुलिस अफसर भी होना चाहिए. सीजेआई ने कहा कि इस जांच से, कानून का शासन मजबूत होगा और पुलिस का मनोबल नहीं टूटेगा.
इसके अलावा जब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को ये पता चला कि विकास दुबे के खिलाफ 65 FIR दर्ज थीं फिर भी वो पैरोल पर जेल से बाहर था तो वे CJI दंग रह गए. उन्होंने इस बात को हुकूमती सिस्टम की नाकामयाबी करार दिया है. CJI ने कहा कि इतने केस होने के बावजूद विकास दुबे को कैसे जमानत मिल गई. चीफ जस्टिस ने कहा कि विकास दुबे पर संगीन जुर्म के कई मुकदमे दर्ज थे फिर भी वह जेल से बाहर था जो कि सिस्टम की नामकामयाबी है. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी हुकूमत से रिकॉर्ड तलब किया है.
वहीं विकास दुबे एनकाउंटर मामले को हैदराबाद एनकाउंटर से जोड़े जाने पर CJI ने कहा कि 'हैदराबाद और विकास दुबे एनकाउंटर मामले में एक बड़ा फर्क है. वे एक खातून के रेपिस्ट और कातिल थे. ये (विकास दुबे) पुलिस अहलकारों का कातिल था.'
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