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खुलासा: पुलिस अहलकारों के कत्ल के बाद लाशों को आग लगाने की ताक में था विकास दुबे

बताया जा रहा है कि विकास को पुलिस की रेड के बारे में काफी पहले से जानकारी थी, लिहाज़ा उसने अपने साथियों को बुला लिया था. विकास दुबे ने सभी को हथियार लेकर आने के लिए कहा था.

फाइल फोटो
फाइल फोटो

उज्जैन: उत्तर प्रदेश के कानपुर में 8 पुलिस अहलकारों के कत्ल करने वाले गैंगस्टर विकास दुबे ने पूछताछ में कई बड़े बातें कबूली हैं. ज़राए के हवाले से खबर है कि वो पुलिस जवानों की कत्ल के बाद घर के बगल में मौजूद कुंए के पास पांच लाशों को आग लगाने की फिराक में था. उसने बताया कि जवानों की लाश को एक के ऊपर एक रखा भी दिया था. लाशों को तेल से जलाने का इरादा था लेकिन ऐसा करने से पहले ही फरार होना पड़ा.

बताया जा रहा है कि विकास को पुलिस की रेड के बारे में काफी पहले से जानकारी थी, लिहाज़ा उसने अपने साथियों को बुला लिया था. विकास दुबे ने सभी को हथियार लेकर आने के लिए कहा था. विकास दुबे को डर था कि पुलिस उसका एनकाउंटर करने आ रही है, इसलिये उसने फायरिंग की. विकास ने बताया कि पुलिस के ज़राए से रेड की जानकारी मिल गई थी. पुलिस के कई लोग राब्ते में थे.

विकास ने बताया हम लोगों को इत्तेला थी कि पुलिस भोर सुबह आयेगी लेकिन रेड रात को ही पड़ गई. विकास ने बताया कि खाना भी नहीं खाया था, जबकि सभी साथियों के लिये खाना बना हुआ था. ज़राए के मिली जानकारी के मुताबिक, विकास ने बताया कि लगभग 11 बजे जेसीबी को राजू नाम के साथी ने बीच सड़क पर खड़ा किया था. रास्ता रोकने के लिए इस्तेमाल की गई जेसीबी मशीन वारदात के अगले दिन ढेर हुए विकास के मामा की थी. 

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विकास ने बताया कि 3 थानों की पुलिस के दबिश देने की इत्तेला मिली थी, उसी हिसाब से छतों पर गैंग के लोगों को तैनात किया था. पुलिस के गांव में आने की इत्तेला मुखबिर से लगी थी. फोन पर जानकारी मिली कि पुलिस की गाड़ियां गांव में आ चुकी हैं. विकास ने बताया कि अंदाज़ा था कि पुलिस का बैकअप 4 बजे से पहले नहीं आएगा लेकिन बाकी पुलिस अहलकार ने हमले की जानकारी अफसरों को पहुंचा दी और वायरलेस पर मिले मैसेज के बाद बैकअप रवाना हो गया.

ऐसी खबर है कि विकास दुबे ने बताया कि उसने अपने सभी साथियों को अलग-अलग भागने के लिये कहा था. साथियों को जहां ठीक लगा वो उस जगह भाग गए. 

ऐसा बताया जा रहा है कि विकास दुबे ने पुलिस पूछताछ में जानकारी दी है कि उसकी शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र से नहीं बनती थी. विकास ने बताया कि सीओ देवेंद्र कई बार देख लेने की धमकी दे चुके थे, उनसे पहले भी बहस हो चुकी थी. विकास ने बताया कि साबिक चौबेपुर SO विनय तिवारी ने भी जानकारी दी थी सीओ देवेंद्र उसके खिलाफ है. इसी वजह से सीओ देवेंद्र को लेकर उसका गुस्सा था. 

विकास दुबे के मुताबिक सीओ देवेंद्र को उसके साथियों ने मामा के मकान के आंगन में मारा. विकास ने बताया है कि सीओ देवेंद्र के पैर पर वार किया, क्योंकि देवेंद्र उसके एक पैर को लेकर तबसिरा करते थे. विकास ने बताया कि सीओ कहते थे कि विकास का एक पैर गड़बड़ है, उसका दूसरा भी सही कर दूंगा. विकास दुबे ने कबूला कि सीओ देवेंद्र का गला नहीं काटा था, गोली पास से सिर में मारी थी, इसलिये आधा चेहरा फट गया था.

ज़राए बता रह हैं कि फर्ज़ी आईकार्ड के सहारे विकास दुबे घूम रहा था. उज्जैन महाकाल मंदिर में उसने सिक्योरिटी अहलकार को पहले अपना नाम शुभम बताया और नवीन पाल नाम का आई कार्ड दिखाया लेकिन बाद में पूछताछ में अपना असली नाम विकास दुबे लिया. महाकाल के दर्शन के लिए उसने 250 रुपए का वीआईपी टिकट लिया था.

खबर है कि विकास दुबे ने कबूल किया है कि चौबेपुर थाना के अलावा उसके कई दूसरे थानों में मददगार थे, जो कई मामलों में उसकी मदद करते थे. विकास ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान भी चौबेपुर थाने के पुलिसवालों का मैंने बहुत ख्याल रखा. विकास ने बताया कि सबको खाना-पीना खिलाया और दूसरी मदद भी की.

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