Former CEC Quraishi vs Nishikant Dubey: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त पर हमला बोला था और उनको "मुस्लिम आयुक्त" कहा था, इसके बाद से ही निशिकांत दुबे की चारों तरफ आलोचना हो रही है.
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Former CEC Quraishi vs Nishikant Dubey: वक्फ कानून के खिलाफ देशभर में विरोध हो रहा है. इस कानून का विरोध मुस्लिम समुदाय के लोग कर रहे हैं. इसी कड़ी में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) डॉ. एस. वाई. कुरैशी ने वक्फ बिल पर सवाल उठाए थे, जिसके बाद बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त पर हमला बोला था और उनको "मुस्लिम आयुक्त" कहा था, इसके बाद से ही निशिकांत दुबे की चारों तरफ आलोचना हो रही है. विपक्ष बीजेपी सांसद पर हमलावर है. वहीं, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने निशिकांत दुबे पर लगे आरोपों को लेकर उन पर जोरदार हमला बोला है.
उन्होंने कहा कि वह (निशिकांत दुबे) ऐसे भारत के विचार में विश्वास करते हैं जहां एक व्यक्ति को उसके योगदान से परिभाषित किया जाता है, और जोर देकर कहा कि "कुछ लोगों के लिए, धार्मिक पहचान उनकी घृणास्पद राजनीति को आगे बढ़ाने का मुख्य साधन है.
दुबे को दिया करारा जवाब
कुरैशी ने जोर देकर कहा कि भारत हमेशा अपने संवैधानिक संस्थानों और सिद्धांतों के लिए खड़ा रहा है और लड़ता रहेगा. उन्होंने कहा कि मैंने अपनी पूरी क्षमता के साथ चुनाव आयुक्त के संवैधानिक पद पर काम किया और आईएएस में मेरा लंबा और संतुष्टिदायक करियर रहा. मैं ऐसे भारत के विचार में विश्वास करता हूं जहां एक व्यक्ति को उसकी प्रतिभा और योगदान से परिभाषित किया जाता है न कि उसकी धार्मिक पहचान से."
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त की किसने की तारीफ
उन्होंने कहा, "लेकिन मुझे लगता है कि कुछ लोगों के लिए धार्मिक पहचान उनकी नफरत भरी राजनीति को आगे बढ़ाने का मुख्य साधन है. भारत हमेशा अपने संवैधानिक संस्थानों और सिद्धांतों के लिए खड़ा रहा है और लड़ता रहेगा." इस बीच आईएएस के महेश ने कुरैशी के इस बयान का समर्थन किया है और कहा है कि चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त दोनों के रूप में वे एक अद्भुत व्यक्ति थे.
बीजेपी सांसद ने क्या लगाया था इल्जाम
बीजेपी सांसद दुबे ने यह भी आरोप लगाया कि कुरैशी के कार्यकाल में झारखंड के संथाल परगना इलाके में बांग्लादेशी घुसपैठियों को वोटर बनाया गया था. साथ ही, उन्होंने कुरैशी के बयान को "धार्मिक भड़काने वाला" बताया. दुबे ने इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में इस्लाम 712 ईस्वी में आया और इससे पहले की जमीनें हिंदू, जैन, बौद्ध या आदिवासी समुदायों से जुड़ी थीं. उन्होंने कहा कि अब कोई और बंटवारा नहीं होगा.