Waqf Amendment Act: वक्फ संशोधन एक्ट पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा, जिसमें सरकार ने वक्फ बाय यूजर के दुरुपयोग को रोकने के लिए इस बदलाव को जरूरी बताया. सरकार का कहना है कि यह बदलाव संविधान के अनुरूप है और इससे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा.
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Waqf Amendment Act: वक्फ संशोधन एक्ट को लेकर देशभर में बहस चल रही है. इस बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया। केंद्र सरकार ने साफ किया है कि वक्फ कानून में बदलाव क्यों जरूरी था. सरकार ने बताया कि 1923 से वक्फ बाय यूजर प्रावधान के तहत रजिस्ट्रेशन जरूरी होने के बावजूद इसका दुरुपयोग कर निजी और सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित किया जाता रहा, जिसे रोकना जरूरी था.
केंद्र सरकार ने कहा कि वक्फ बाय यूजर की व्यवस्था खत्म होने से मुस्लिम समुदाय का वक्फ करने का अधिकार नहीं छीना गया है, बल्कि कानून के दुरुपयोग पर लगाम लगाई गई है. सरकार ने यह भी आरोप लगाया कि इस कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं.
इनते संपत्तियों को किया जा चुका है वक्फ- सरकार
जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) को 5 सितंबर 2024 को दी गई जानकारी के मुताबिक, 5,975 सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित किया जा चुका था. सरकार का कहना है कि पुराने कानून के तहत वक्फ बाय यूजर एक “सुरक्षित स्वर्ग” बन गया था, जहां से सरकारी और निजी संपत्तियों को हथियाया जा सकता था.
वक्फ नहीं है धार्मिक संस्था- केंद्र सरकार
सरकार ने अदालत से कहा कि यह सेटेड लीगल पोजिशन है कि कोर्ट को संसद द्वारा बनाए गए कानूनों पर बिना विस्तृत सुनवाई के रोक नहीं लगानी चाहिए. सरकार के मुताबिक, 2016 से अब तक वक्फ संपत्ति में 116 गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. केंद्र ने स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड एक मुस्लिम धार्मिक संस्था नहीं है. इसमें किया गया संशोधन संविधान के अनुरूप है. इसमें मौलिक अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है.
सरकार ने क्या दी दलील
सरकार ने यह भी बताया कि वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्ड में 22 सदस्यों में से अधिकतम दो गैर-मुस्लिम हो सकते हैं, जो समावेशी प्रतिनिधित्व का संकेत है. सरकार ने अपने जवाब में यह भी कहा कि पिछले 100 सालों से वक्फ बाय यूजर मौखिक नहीं, बल्कि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के तहत ही होता रहा है. अदालत अब इस मामले की पूरी सुनवाई के बाद फैसले लेगी.