अगर वसीम रिजवी (अब जितेंद्र नारायण त्यागी) की जिंदगी की बात करें तो उनकी पैदाइश तो उनका जन्म एक शिया मुस्लिम परिवार में हुआ था. छोटी उम्र में ही उनके सिर से पिता का साया उठ गया था और रिजवी अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं.
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नई दिल्ली: शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी (Waseem Rizvi) ने आज यानी 6 दिसंबर को इस्लाम मज़हब छोड़ दिया और गाजियाबाद के डासना मंदिर में सनातन धर्म में शामिल कराया गया. जिसके बाद उनका नाम जितेंद्र नारायण त्यागी हो गया है. इससे कुछ दिनों पहले वसीम रिजवी ने वसीयत जारी करते हुए कहा था कि उनके मर जाने के बाद उन्हें दफ्नाया नहीं बल्कि हिंदू मज़हब की रिवायत के मुताबिक अंतिम विदाई दी जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने लगाया जुर्माना
इससे भी पहले वसीम रिजवी तब विवादों में घिरे जब उन्होंने कुरान की 26 आयतों को कुरान से हटाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी, हालांकि वसीम रिजवी को उस वक्त सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख का सामना करना पड़ा था साथ ही उनपर जुर्माना भी लगाया गया था. वसीम रिजवी की दलील थी कि इन 26 आयतों को कुरान में बाद में शामिल किया गया और ये आयतें समाज के लिए अच्छा पैगाम भी नहीं देती हैं.
सऊदी अरब, जापान और अमेरिका में कर चुके हैं काम
अगर वसीम रिजवी (अब जितेंद्र नारायण त्यागी) की जिंदगी की बात करें तो उनकी पैदाइश तो उनका जन्म एक शिया मुस्लिम परिवार में हुआ था. छोटी उम्र में ही उनके सिर से पिता का साया उठ गया था और रिजवी अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं. पिता के गुजर जाने के बाद उनके ऊपर भारी जिम्मेदारियां आ गई थीं. इसीलिए वो 12वीं के बाद सऊदी अरब में एक होटल में काम करने लगे थे. सऊदी अरब के बाद वसीम रिजवी ने जापान और अमेरिका में भी काम किया.
सपा और बसपा के साथ रहा सफर
2004 में समाजवादी पार्टी की सरकार वसीम रिजवी को शिया वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया. हालांकि जब साल 2007 में सत्ता पलटी तो वसीम रिजवी ने भी पलटी मारते हुए सपा का दामन छोड़ दिया और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) का हाथ थाम लिया.
इसके बाद साल 2009 में शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन की जिम्मेदारी मोलाना कल्बे जवाद के बहनोई को सौंपी गई और वसीम रिजवी को बोर्ड में अध्यक्ष के तौर पर शामिल किया गया. इस दौरान वसीम रिजवी और कल्बे जवाद के रिश्तों दरार आ गई थी. वहीं जब अगले साल यानी साल 2010 में वक्फ बोर्ड पर करप्शन के आरोप लगे तो मौलाना कल्बे जवाद के बहनोई को अपने पद से स्तीफा देना पड़ा.
भ्रष्टाचार के लगे आरोप, CBI कर रही जांच
साल 2014 में सपा सरकार में बोर्ड के पुनर्गठन के दौरान उन्हें आज़म खान का करीबी होने का फायदा मिला और उन्हें एक बार फिर बोर्ड के चेयमैन की कुर्सी पर बैठा दिया गया. साल 2017 में भाजपा की सरकार आने के बाद रिजवी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. इस मामले में उनके खिलाफ FIR भी हुई. वसीम रिजवी पर शिया वक्फ का जायदाद को गैर कानूनी से खरीदने और बेचने के संगीन आरोप हैं. मामले की संजीदगी को देखते उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जांच CBCID के हवाले कर दी. एक खबर के मुताबिक फिलहाल मामले की जांच CBI कर रही है.
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