Trending Photos
कोलकाताः बीजेपी ने शनिवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए 57 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में जिस नाम की चर्चा सबसे ज्यादा है, वो है शुभेंदु अधिकारी का. बता दें कि शुभेंदु अधिकारी नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगे, जहां से ममता बनर्जी भी चुनाव मैदान में हैं. ऐसे में नंदीग्राम के इस संग्राम पर ना सिर्फ बंगाल बल्कि पूरे देश की निगाहें टिक गई हैं.
ममता बनर्जी का गढ़ है नंदीग्राम
नंदीग्राम ही वो जगह है, जिसने बंगाल की राजनीति में ममता बनर्जी को स्थापित किया और एक बड़ा नाम बनाया. साल 2007 में जब वाम मोर्चा की सरकार में नंदीग्राम में जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा था, तो स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया, जिससे वहां संघर्ष हो गया. पुलिस फायरिंग में वहां 14 लोगों की मौत हुई थी और पूरे देश में यह मुद्दा सुर्खियों में आ गया था. इस दौरान ममता बनर्जी ने जिस तरह से लोगों का साथ दिया. उसी का नतीजा था कि बंगाल से 34 साल के वाम शासन का अंत हुआ और 2011 के चुनाव में ममता बनर्जी को सत्ता हासिल हुई थी.
बंगाल चुनाव का केंद्र बना नंदीग्राम: दीदी के सामने शुभेंदु अधिकारी, जानिए क्यों खास है यह सीट
शुभेंदु अधिकारी का भी है खासा दबदबा
नंदीग्राम ने जिस तरह से ममता बनर्जी की बेखौफ नेता की छवि गढ़ने में मदद की. उसी तरह से शुभेंदु अधिकारी को यहां जमीन से जुड़ा नेता बताया जाता है और नंदीग्राम मूवमेंट में शुभेंदु अधिकारी की मदद से ही ममता बनर्जी ने यहां अपना दबदबा कायम किया था. हालांकि अब वह भाजपा में शामिल हो चुके हैं और ममता बनर्जी के खिलाफ नंदीग्राम से ही ताल ठोक रहे हैं. शुभेंदु अधिकारी के पिता शिशिर अधिकारी के समय से ही इस परिवार का यहां की राजनीति में दबदबा रहा है. उनके बाद शुभेंदु अधिकारीऔर उनके भाई दिव्येंदु अधिकारी भी ईस्ट मिदनापुर इलाके में काफी प्रभाव रखते हैं. शुभेंदु अधिकारी एक जनसभा के दौरान ऐलान भी कर चुके हैं कि वह ममता बनर्जी को नंदीग्राम में 50 हजार मतों से हराएंगे और अगर ऐसा नहीं कर सके तो राजनीति छोड़ देंगे.
भाजपा नेता ने Mithun Chakraborty का पार्टी में किया स्वागत, लिखी यह बड़ी बात
ममता बनर्जी की चुनौती से पार पाना बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर
नंदीग्राम में जमीनी स्तर पर भले ही शुभेंदु अधिकारी का दबदबा हो, लेकिन ममता बनर्जी एक ऐसी नेता हैं, जिनसे पार पाना बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि बंगाल की राजनीति में ममता बनर्जी का कद काफी ऊंचा है. साथ ही ममता बनर्जी की छवि बेदाग, ईमानदार और जुझारु नेता की है. वहीं भाजपा के पास बंगाल में ऐसा कोई नेता नहीं है जो ममता बनर्जी को सीधे चुनौती दे सके. यही वजह है कि ममता बनर्जी नंदीग्राम से चुनाव लड़कर ना सिर्फ नंदीग्राम आंदोलन की यादें ताजा करना चाहती हैं बल्कि वह अपने पार्टी काडर को यह संदेश भी देना चाहती हैं कि वह बीजेपी से सीधे टकराव से नहीं घबरा रही हैं.
राजनीति के जानकारों का ये भी मानना है कि जहां एक तरफ देश में किसान आंदोलन हो रहे हैं. ऐसे में ममता बनर्जी नंदीग्राम से चुनाव लड़कर भाजपा को इस मुद्दे पर घेरना चाहती हैं. उल्लेखनीय है कि नंदीग्राम आंदोलन किसानों की जमीन के अधिग्रहण के खिलाफ ही हुआ था. इस तरह ममता बनर्जी अपने आप को किसान हितैषी दिखाना चाहती हैं.
नंदीग्राम टीएमसी के लिए क्यों है इतना अहम?
ममता बनर्जी भाजपा के खिलाफ बंगाली वर्सेस बाहरी का मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही हैं. लेकिन जिस भवानीपुर सीट से ममता बनर्जी दो बार चुनाव लड़ती रही हैं, वहां गैर बंगालियों की संख्या 70 फीसदी से ज्यादा है. ऐसे में हो सकता है कि बंगालियों को संदेश देने के लिए ममता बनर्जी ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. नंदीग्राम विधानसभा बंगाल के जंगलमहल क्षेत्र का हिस्सा है. जिसमें बांकुड़ा, पुरुलिया, पश्चिम मिदनापुर, झारग्राम और बीरभूम जिले आते हैं.
मिथुन, गंभीर की अटकलों के बीच इस दिग्गज ने थामा BJP का दामन, कही यह बड़ी बात
माना जाता है कि बंगाल की सत्ता का रास्ता जंगलमहल से ही होकर गुजरता है. इस इलाके के एक प्रभावशाली नेता मुकुल रॉय को भाजपा पहले ही अपने साथ मिला चुकी है. अब रही सही कसर शुभेंदु अधिकारी के भाजपा में जाने से पूरा हो गया है. अधिकारी परिवार का पश्चिम मिदनापुर, हल्दिया और दुर्गापुर समेत 60 सीटों पर प्रभाव है. ऐसे में ममता बनर्जी नंदीग्राम से चुनाव लड़कर इन 60 सीटों पर अपनी पार्टी का दबदबा बनाना चाहती हैं.
LIVE TV