इस टनल को बनाने में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा. अटल टनल की उतार-चढ़ाव भरी कहानी आप Build India के Youtube, Facebook, Instagram समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर देख सकते हैं.
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नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के रोहतांग जिले में बनी दुनिया की सबसे लंबी हाईवे टनल 'अटल टनल' का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 अक्टूबर 2020 को उद्घाटन किया था. सामरिक रूप से अहम और हर मौसम में खुली रहने वाली इस टनल की वजह से मनाली और लेह के बीच 46 किलोमीटर की दूरी का फासला कम हो गया है. जो अब महज 12 मिनट में तय हो जाएगा. यह टनल भारतीय सेना को मजबूती भी प्रदान करेगी. सेना को सीमा में पहुंचने के लिए समय कम लगेगा और बर्फबारी के दौरान सैन्य सामान पहुंचाना भी आसान होगा.
टनल की उतार-चढ़ाव भरी कहानी "Build India" पर
इस टनल को बनाने में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा. अटल टनल की उतार-चढ़ाव भरी कहानी आप Build India के Youtube, Facebook, Instagram समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर देख सकते हैं. अटल टनल से सेना को सामरिक तौर पर होने वाले फायदे और लाहौल स्पीति को पूरे साल मनाली से जोड़े रखने समेत तमाम खासियतों के बारे में वैभव डांगे 1 दिसंबर 2021 को सुबह Build India के सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर 10 बताएंगे.
अब 12 मिनट में कर सकेंगे खतरनाक घाटी पार , चार घंटे का जोखिमभरा सफर हुआ आसान। कैसे? जरूर देखिए, हिमाचल प्रदेश के अटल टनल की उतार-चढ़ाव भरी कहानी YouTube चैनल Build India पर। पसंद आए तो लाइक करें, अपने मित्रों को शेयर करें। @nitin_gadkari https://t.co/N8pV9WJ6ao pic.twitter.com/JDUGTWTtmP
— Build India (@V_BuildIndia) November 24, 2021
6 महीने बाकी हिस्सों से कटी रहती थी लाहौल स्पीति घाटी
यह सुरंग (Atal Surang) दक्षिणी पोर्टल मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर 3,060 मीटर की ऊंचाई पर बनी है, जबकि उत्तरी पोर्टल 3,071 मीटर की ऊंचाई पर लाहौल घाटी में तेलिंग, सीसू गांव के नज़दीक मौजूद है. इस टनल से पहले करीब 6 महीने तक लाहौल स्पीति घाटी बाकी हिस्सों से कटी रहती थी लेकिन दुनिया कि इस सबसे लंबी (9.02 किलोमीटर) राजमार्ग सुरंग के खुलने से लाहौल स्पीति को हर समय मनाली से जोड़े रखेगी.
10 साल में बनकर हुई तैयार
यह टनल 10 साल में बनकर तैयार हुई है, पहले यह 6 साल में बनने वाली थी लेकिन बाद में इसका समय 4 साल और बढ़ दिया गया था. साथ ही इस प्रोजेक्ट की लागत 2010 में 1,700 करोड़ रुपये से बढ़कर सितंबर 2020 तक 3,200 करोड़ रुपये हो गई. इसके अलावा इसमें हर 60 मीटर की दूरी पर CCTV कैमरे लगाए गए हैं. इतना ही नहीं सुरंग के अंदर हर 500 मीटर की दूरी पर इमर्जेंसी एग्जिट भी बनाए गए हैं.
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