एकसपर्ट बताते हैं कि रेल की पटरी बनाने के लिए एक खास तरह की स्टील का इस्तेमाल किया जाता है. स्टील और मेंगलॉय को मिला कर ट्रेन की पटरियों को तैयार किया जाता है.
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नई दिल्ली: हममे से अक्सर लोग ट्रेन का सफर करते हैं. इस दौरान हम अक्सर ट्रेन की पटरियों को देखते हैं. ये पटरियां महेशा नईं दिखती हैं. क्या आपने कभी सोचा कि लोहे की इन पटरियों पर कभी जंग क्यों नहीं लगती? जबकि इसके उलट हमारे घर में रखा लोहा जल्द ही जंग पकड़ लेता है और खराब हो जता है.
इसलिए लगती है जंग
लोहा एक मजबूत धातु होता है. लेकिन लोहा या लोहे से बना सामान ऑक्सीजन और नमी के संपर्क में आता है तो लोहे पर एक भूरे रंग की परत आयरन ऑक्साइड (Iron oxide) जम जाती है. जैसे-जैसे परत मोटी होती जाती है उसी हिसाब से लोहा खराब होता जाता है. साथ ही इसका रंग भी बदल जाता है. इसी को लोहे पर जंग लगना कहते हैं.
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खास मिश्रण से बनती है पटरी
एकसपर्ट बताते हैं कि रेल की पटरी बनाने के लिए एक खास तरह की स्टील का इस्तेमाल किया जाता है. स्टील और मेंगलॉय को मिला कर ट्रेन की पटरियों को तैयार किया जाता है. स्टील और मेंगलॉय (Mangalloy) के इस मिश्रण को मैंगनीज स्टील (Manganese Steel) कहा जाता है. इसी से ट्रेन की पटरी बनाई जाती है. इस वजह से लोहे की पटरी में ऑक्सीकरण नहीं हो पाता. जिसकी वजह से ट्रेन की पटरियों में जंग नहीं लगती और यह सालों तक चलती रहती है.
हादसों से बचने के लिए किया जाता है ऐसा
रेल की पटरियों को अगर आम लोहे से बनाया जाएगा तो हवा की नमी के कारण उसमें जंग लग जाएगी. इसके बाद ट्रैक कमजोर हो सकता है. इसकी वजह से पटरियों की मरम्मत जल्दी-जल्दी करनी होगी. साथ ही इससे रेल हादसे ज्यादा होंगे. मरम्मत से बचने और हादसों को कम करने के लिए रेलवे पटरियों को खास लोहे से तैयार किया जाता है.
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