अंबाला एयरबेस पर ही क्यों की गई राफेल की तैनाती, जानिए सबसे बड़ी वजह
राफेल तय्यारे की तैनाती के लिए हिंदुस्तान ने खास तौर पर अंबाला एयरबेस को चुना है. जिसके कई मायने हैं. दरअसल यहां से राफेल चीन और पाकिस्तान दोनों मुल्कों के साथ आसानी से मुकाबला कर सकता है.
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अंबाला: राफेल फाइटर जैट्स आज इंडियन एयर फोर्स में शामिल हो गए हैं. फ्रांस की वज़ीरे दिफा (Defence Minister) फ्लोरेंस पार्ली (Florence Parley) इस मौके पर हिंदुस्तान पहुंची. उन्होंने राफेल इंडक्शन प्रोग्राम में महमाने खुसूसी के तौर पर शिरकत की. राफेल तय्यारे की तैनाती के लिए हिंदुस्तान ने खास तौर पर अंबाला एयरबेस को चुना है. जिसके कई मायने हैं. दरअसल यहां से राफेल चीन और पाकिस्तान दोनों मुल्कों के साथ आसानी से मुकाबला कर सकता है.
राफेल तय्यारा अगर अपनी टॉप स्पीड के साथ अंबाला एयरबेस से उड़ान भरता है तो वो महज़ 6 मिनट के अंदर पाकिस्तान की सरहद पर पहुंच कर पाकिस्तान की तबाही की कहानी लिख सकता है. राफेल की टॉप रफ्तार 2200 किलोमीटर फी घंटे से कुछ ज्यादा है और अंबाला एयरबेस से पाकिस्तान बॉर्डर महज़ 220 किलोमीटर दूरी पर है.
#WATCH Indigenous light combat aircraft Tejas performs during Rafale induction ceremony, at Ambala airbase pic.twitter.com/5SSQQHzDnT
— ANI (@ANI) September 10, 2020
वहीं अगर चीन बॉर्डर की बात करें तो अंबाला एयरबेस से चीनी बार्डर भी 230 किलोमीटर के फासले पर है और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) तक पहुंचने में भी राफेल को सिर्फ 6 मिनट लगेंगे. इससे साफ अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि राफेल की तैनाती चीन और पाकिस्तान को नज़र में रखते हुए अंबाला एयरबेस पर की गई है.
#WATCH Indian Air Force’s 'Sarang Aerobatic Team' performs at the Rafale induction ceremony in Ambala pic.twitter.com/KI4X3cHAl7
— ANI (@ANI) September 10, 2020
राफेल की खासियतें
-रफाल दोनों ही ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ अहलियत के साथ फोर्थ जनरेशन का फाइटर है. ये न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे एटमी हमला भी किया जा सकता है.
-एक रफाल दुश्मनों के पांच जेट्स को ढेर करने की ताकत रखता है. रफाल की सबसे बड़ी खासियत है कि यह बियॉन्ड विजुअल रेंज Air-To-Air Missile है. जिसकी रेंज 150 किलोमीटर से ज्यादा होती है. इसे ऐसे समझिए ये हिंदुस्तान के बॉर्डर के अंदर से ही पाकिस्तान में 150 किलोमीटर तक हमला कर सकती है ये मिसाइल.
-कोई भी जंगी तय्यारा कितना ताकतवर हो, ये उस तय्यारे की तकनीक और सेंसर सलाहियत और हथियारों पर मुनहसिर होता है. इसका मतलब ये है कि ये जंगी तय्यारा कितने फासले से देख सकता है और कितनी दूर तक अपने टारगेट को तबाह कर सकता है. इस मामले में रफाल बहुत जदीद और ताकतवर तय्यारा है.
-अगर चाइनीज J-20 और हिंदुस्तान के रफाल का मवाज़ना (तुलना) करें तो रफाल कई मामलों में J-20 पर भारी पड़ता है.
- जैसे रफाल का Combat Radius 3 हज़ार 700 किलोमीटर है जबकि J-20 का Combat Radius 3 हज़ार 400 किलोमीटर है. Combat Radius का मतलब है कि लड़ाकू तय्यारे अपने बेस से एक बार में कितनी दूरी तक जा सकता है.
- चीन अपने J-20 लड़ाकू तय्यारे के लिए अभी नई नस्ल का इंजन तैयार नहीं कर पाया है और अभी वो रूस के इंजन इस्तेमाल कर रहा है, जबकि रफाल में ताकतवर और भरोसेमंद M-88 इंजन लगा है.
- रफाल में तीन तरह की खतरनाक मिसाइल के साथ 6 लेजर गाइडेड बम भी फिट हो सकते हैं.
-रफाल अपने वज़न से डेढ़ गुना ज़्यादा वजन उठा सकता है जबकि J-20 अपने वज़न से 1.2 गुना ज्यादा वजन उठा सकता है. यानी रफाल अपने साथ ज्यादा हथियार और ईंधन ले जा सकता है.
- सबसे अहम बात ये है कि जंग के मैदान में रफाल अपनी अहलियत दिखा चुका है. फ्रांस की एयरफोर्स और नौ सेना में रफाल पिछले 14 साल से तैनात है.
-अफगानिस्तान, इराक, सीरिया और लीबिया में रफाल ने अपनी अहलियत दिखाई है, जबकि इसका मवज़ना में चीन अपना J-20 लड़ाकू तय्यारे 2017 में यानी सिर्फ तीन साल पहले ही अपनी सेना में लेकर आया है.
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