Labour Day 2020: जानें 1 मई को ही क्यों मनाया जाता है इंटरनेशनल लेबर डे, क्या है कीमत और इसके पीछे मनाने की मंशा
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Labour Day 2020: जानें 1 मई को ही क्यों मनाया जाता है इंटरनेशनल लेबर डे, क्या है कीमत और इसके पीछे मनाने की मंशा

लेबर डे नहीं बग़ावत और शहादत का दिन है 1 मई. इस तारीख़ को दुनिया की सबसे ताकतवर मुल्क के मजदूरों ने अपने-अपने मालिकों के खिलाफ बग़ावत छेड़ दी थी

Labour Day 2020: जानें 1 मई को ही क्यों मनाया जाता है इंटरनेशनल लेबर डे, क्या है कीमत और इसके पीछे मनाने की मंशा

नई दिल्ली: हर साल 1 मई को दुनिया भर में " इंटरनेशनल मजदूर दिवस" या श्रम दिवस (International Labour Day) मनाया जाता है. हिंदुस्तान में मजदूर दिवस की शुरूआत चेन्नई से हुई थी. भारतीय मजदूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार इस वैश्‍विक दिवस की हिंदुस्तान में भी शुरुआत करने पर अड़े थे. इसके बाद चेट्यार की कयादत में मद्रास हाईकोर्ट सामने बड़ा मुज़ाहिरा किया. इस दौरान दत्तात्रेय नारायण सामंत उर्फ डॉक्टर साहेब और जॉर्ज फर्नांडिस ने भी इस मुहिम को आगे बढ़ाने में अहम रोल अदा किया था. इसका अहम मकसद मजदूरों को सम्मान और हक दिलाना है.

" इंटरनेशनल लेबर डे" की तारीख़ ''
लेबर डे नहीं बग़ावत और शहादत का दिन है 1 मई. इस तारीख़ को दुनिया की सबसे ताकतवर मुल्क के मजदूरों ने अपने-अपने मालिकों के खिलाफ बग़ावत छेड़ दी थी. वे सड़कों पर उतर आए. हड़ताल पर बैठ गए.ये मजदूर लगातार 10-15 घंटे काम कराए जाने के खिलाफ थे. उनका कहना था कि उनका शोषण किया जा रहा है. इस भीड़ पर तत्कालीन हूकुमत ने गोली चलवा दी थी, जिसमें सैकड़ों मजदूरों की मौत हो गई थी.

इस घटना से दुनिया हैरान थी. इसके बाद 1889 में इंटरनेशनल समाजवादी सम्मेलन की दूसरी मीटिंग हुई. इस मीटिंग में यह ऐलान किया गया कि हर साल 1 मई को इंटरनेश्नल मजदूर दिवस मनाया जाएगा और इस दिन मजदूरों को छुट्टी दी जाएगी. साथ ही आठ घंटे की शिफ्ट की शुरुआत भी यहीं से हुई थी. इसमें पहली बार 1886 के मई महीने में जान गवाने वाले मजदूरों को याद करते हुए 1 मई को मजदूर दिवस मनाने का फैसला किया गया.

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