दो लाख की आबादी वाले अंबिकापुर शहर को जिला इंतेजामिया और नगर निगम ने 6 क्लस्टर्स में बांट दिया गया है. बावजूद इसके अंबिकापुर नगर निगम की ओर से इन मजदूरों को राशन मुहैया नहीं कराया जा सका है
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सुशील कुमार/अंबिकापुर: कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के बाद कई अलग अलग रियासतों से दूसरी रियासतों में कमाने गए मज़दूर फंस गए हैं. जिसके बाद इन मजदूरों और कामगारों के सामने परेशानियां खड़ी हो गई हैं. हालांकि रियासती हुकूमत की ओर से घर तक राशन पहुंचाने की कोशिशे जारी हैं.लेकिन छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर नगर निगम की कहानी कुछ और ही सामने आई.
दो लाख की आबादी वाले अंबिकापुर शहर को जिला इंतेजामिया और नगर निगम ने 6 क्लस्टर्स में बांट दिया गया है. बावजूद इसके अंबिकापुर नगर निगम की ओर से इन मजदूरों को राशन मुहैया नहीं कराया जा सका है. नगर निगम की ओर से आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड या कोई दूसरा शिनाख़्त कार्ड देखने के बाद ही राशन दिया जा रहा है. करीब एक दर्जन मजदूरों के पास कोई पहचान पत्र नहीं है जिसकी वजह से उन्हें राशन से नहीं मिल पा रहा है.
हालांकि सोशल कारकुनान की मदद से इन मजदूरों को शुरुआती दिनों में कुछ दिन खाने पीने की चीजें मिल जाया करती थीं. लेकिन इन लोगों की यह खुशी ज़्याादा दिनों तक बरकरार नहीं रह सकी और..रियासती हुकूमत के एक आदेश के बाद यह भी बंद कर दिया गया. अब इन मजदूरों को एक-एक दाने के लिए मोहताज होना पड़ रहा है. इस मामले को लेकर अंबिकापुर के मेयर अजय तिर्की से जब जी मीडिया ने बात की तो उन्होंने सबको राशन भेजने की बात कही. लेकिन वहीं दूसरी ओर राशन तकसीम करने वाले राज बहादुर से जब जी मीडिया ने पूछा तो उन्होंने कहा कि बिना शिनाख़्त कार्ड वालों को नहीं दे सकते, शासन का आदेश है.