RTI के तहत सूचनाएं लेने में महिलाएं पीछे; क्या सिर्फ खाना-खजाना तक है उनकी दिलचस्पी ?
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RTI के तहत सूचनाएं लेने में महिलाएं पीछे; क्या सिर्फ खाना-खजाना तक है उनकी दिलचस्पी ?

कार्मिक मंत्रालय से मांगी गई एक जानकारी के मुताबिक पिछले आठ वर्षों में 1.59 लाख से ज्यादा आरटीआई (RTI) दायर की गई, जिनमें सिर्फ 11,376 अर्जियां महिलाओं की थी. 

 

अलामती तस्वीर

नई दिल्लीः भारत में पिछली सदी के मुकाबले में औरतों के हालात लगातार बेहतर हो रहे हैं. वह शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीत तौर पर पहले से कहीं ज्यादा सक्षम और जागरूक हुई हैं. वह अपने अधिकारों को लेकर मुखर हो रही हैं. अपने हक के लिए सड़कों पर भी उतर रही हैं, आंदोलन कर रही हैं, लेकिन सरकार की नीतियों, नियमों और कानूनों को लेकर उनमें आज भी बेदारी की कमी नजर आती है. उनके अंदर उस तरह के सवाल नहीं उठते हैं, जो एक लोकतांत्रिक देश में उसके नागरिकों से उम्मीद की जाती है. सूचना का अधिकार कानून लागू होने के बाद देश के नागरिकों ने इसका भरपूर फायदा हासिल किया है, लेकिन इस मामले में देश की महिलाएं पुरुषों के मुकाबले काफी पीछे हैं. यह खुलासा कार्मिक मंत्रालय से मांगी गई एक जानकारी के बाद सामने आई है.  

1.59 लाख अर्जियों में सिर्फ 11,376 अर्जियां महिलाओं की
पिछले आठ वर्षों में सूचना का अधिकार (RTI) कानून के तहत डाली गईं 1.59 लाख से ज्यादा अर्जियों में से सिर्फ 11,376 अर्जियां महिलाओं की हैं और बाकी सभी पुरुषों की. कार्मिक मंत्रालय के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. एक आरटीआई के जवाब में मंत्रालय ने बताया कि 22 अप्रैल 2013 से 12 नवंबर 2021 के बीच इस कानून के तहत 1,59,107 अर्जियां दी गईं. इनमें से 11,376 अर्जियां महिलाओं ने दीं और 1,47,731 अर्जियां पुरुषों ने दीं. 2017 में 18,869 (1,219 महिलाओं और 17,650 पुरुषों) अर्जियां, 2016 में 17,800 (885 महिलाओं और 16,915 पुरुषों), 2015 में 16,210 (981 महिलाओं और 15,229 पुरुषों) और 2014 में 16,626 (1,049 महिलाओं और 15,577 पुरुषों) अर्जियां दायर की गयीं. 

महिलाओं में आरटीआई को लेकर जागरुकता पैदा करने की जरूरत
कोमोडोर (सेवानिवृत्त) लोकेश के. बत्रा ने एक वेबसाइट के जरिए आरटीआई अर्जियों की कुल तादाद पर कार्मिक मंत्रालय से लिंग आधारित जानकारियां मांगी थी. इसके जवाब में मंत्रालय ने बताया कि 15,986 अर्जियां (1,507 महिलाओं की और 14,479 पुरुषों की) 2021 में 12 नवंबर तक दायर की गई, 20,792 (1,968 महिलाओं की और 18,824 पुरुषों की) अर्जियां 2020 में और 20,762 (1,612 महिलाओं की और 19,150 पुरुषों की) अर्जियां 2019 में दायर की गईं. उसने बताया कि 2018 में 19,709 आरटीआई अर्जियां (1,433 महिलाओं और 18,276 पुरुषों) दायर की गईं. बत्रा ने कहा, ‘‘आंकड़ें दिखाते हैं कि महिलाओं में अपने जानने के अधिकार के बारे में ज्यादा जागरूकता पैदा करने की जरूरत है.

आम लोगों में जागरुकता का अभाव 
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट विशाल जायसवाल कहते हैं, “आरटीआई कानून बनने के लगभग 15 साल बाद भी इसे लेकर आम लोगों में जागरुकता का बेहद अभाव है.’’ वह कहते हैं, “आरटीआई की अर्जी फाइल करना भी एक कौशल हैं. मांगी गई सूचना को सही प्रारूप में नहीं लिखने में अक्सर अर्जियां रद्द कर दी जाती है. ज्यादातर आरटीआई पत्रकार या फिर आरटीआई एक्टिविस्ट ही दाखिल करते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि 95 प्रतिशत पत्रकार इससे अभी दूर हैं. ऐसे में महिलाओं की बराबबर की भागिदारी की कल्पना करना ही व्यर्थ है.’’  

जोखिम की वजह से कम है महिलाओं की हिस्सेदारी 
पिछले 15 सालों से आरटीआई एक्टिविस्ट के तौर पर काम कर रहे वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण चंद्र राय महिलाओं के जरिए आरटीआई अर्जियां कम दाखिल होने पर कहते हैं, “आरटीआई के तहत ज्यादातर अर्जियां उन लोगों द्वारा दायर की जाती है जो सामाजिक और राजनीतिक तौर पर बेहद जागरूक हैं. एक आरटीआई एक्टिविस्ट ज्यादातर अर्जियां दूसरों के लिए डालता है. इस काम में जोखिम भी बहुत उठाने होते हैं. बड़े मुद्दे को उठाने और उसपर आरटीआई के तहत अर्जी लगाने वालों के दुश्मन भी बन जाते हैं, लेकिन उन्हें समाज या सरकार की तरफ से सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं मिलती हैं, ऐसे मे ंहम महिलाओं से इस काम में बराबर की हिस्सेदारी की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?

स्त्री-पुरुष बराबरी से बदलेगी हिस्सेदारी 
इस मसले पर दिल्ली में एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करने वाली आफरीन जहां अशरफ कहती हैं, “ऐसा नहीं है कि महिलाएं सरकार की पाॅलिसियों या आरटीआई को लेकर जागरूक नहीं है. वह अब राजनीतिक और समाजिक मुद्दों को लेकर उतना ही सोचती और समझती हैं, जितना देश का पुरुष वर्ग सोचता-समझता है. समाज ने शुरू से एक लकीर खींच रखी है कि ये काम पुरुषों का है और ये महिलाओं का है. अभी भी महिलाओं की सार्वजनिक उपस्थिति पुरुषों के मुकाबले काफी कम है. हम जैसे-जैसे महिला-पुरूष बराबरी की तरफ बढ़ेंगे ये जिंदगी के हर क्षेत्र में अपने आप दिखने लगेगा.’’ 

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