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अब किसी और सलीके से सताए दुनिया...जी बदलने लगा असबाब-ए-परेशानी से

उर्दू शायरी के खज़ाने से मुंतखब किए हुए 10 बेहतरीन

अंबरीन हसीब अंबर

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अंबरीन हसीब अंबर

अब किसी और सलीके से सताए दुनिया जी बदलने लगा असबाब-ए-परेशानी से

अहमद फराज़

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अहमद फराज़

अब तेरे ज़िक्र पे हम बात बदल देते हैं कितनी रग्बत थी तेरे नाम से पहले पहले

अलीना इतरत

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अलीना इतरत

हिज्र की रात और पूरा चांद किस कदर है यह अहतिमाम गलत

रहमान फारिस

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रहमान फारिस

सी दिए जाएं मेरे होठ तो ऐ जाने गज़ल ऐसा करना मेरी आंखों से अदा हो जाना

रज़ी अख्तर शौक़

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रज़ी अख्तर शौक़

मुझ को पाना है तो फिर मुझ में उतर कर देखो यूँ किनारे से समुंदर नहीं देखा जाता

नामालूम

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नामालूम

रुख्सती के तुझे आदाब सिखाने होंगे यार जाते हुए मुड़-मुड़के नहीं देखते हैं

अहमद मुश्ताक

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अहमद मुश्ताक

एक लम्हे में बिखर जाता है ताना-बाना और फिर उम्र गुज़र जाती है यकजाई में

माहिर-उल क़ादरी

8/10
माहिर-उल क़ादरी

इब्तिदा वो थी कि जीने के लिए मरता था मैं इंतिहा ये है कि मरने की भी हसरत न रही

यासमीन हमीद

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यासमीन हमीद

उस इमारत को गिरा दो जो नज़र आती है मिरे अंदर जो खंडर है उसे तामीर करो

जावेद अख्तर

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जावेद अख्तर

ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना हामी भर लेना बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगत

 

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