कब्र खुदवाकर, कफन पहनकर बैठ गए 109 साल के शफी, बोले- फरिश्तों से बात हो गई है, 1:10 बजे निकलेगी रूह
बाराबंकी (Barabanki) के 109 साल के बुजुर्ग मोहम्मद शफी (जो दिन रात अल्लाह की इबादत में डूबे रहते हैं) ने अपने रिश्तेदारों को बताया कि उसकी फरिश्तों से बात हो गई है और वो 23 अक्टूबर 01:10 बजे इस दुनिया से रुखस्त हो जाएंगे.
नई दिल्ली: दुनिया में सबसे बड़ा सच अगर हो तो वो है 'मौत'. मौत से बड़ी हकीकत दुनिया में कुछ भी नहीं है. एक दिन हर इंसान को इस दुनिया से रुख्सत होना है लेकिन कोई भी जल्दी से इस दुनिया से नहीं जाना चाहता और ना ही कोई यह जानता कि उसको कब मौत आएगी. इस बारे में सिर्फ भगवान को पता है कि किसको कब बुलाना है. लेकिन अगर हम आपको यह कहें कि एक शख्स को पहले ही पता चल गया कि उसकी मौत आने वाली.
'फरिश्तों से हुई थी बात'
दरअसल यह मामला उत्तर प्रदेश के बाराबंकी का है. जहां 109 साल के बुजुर्ग मोहम्मद शफी (जो दिन रात अल्लाह की इबादत में डूबे रहते हैं) ने अपने रिश्तेदारों को बताया कि उसकी फरिश्तों से बात हो गई है और वो 23 अक्टूबर 01:10 बजे इस दुनिया से रुखस्त हो जाएंगे. क्योंकि वो अल्लाह की इबादत ज्यादा करते थे, शायद ऐसे में लोग उनकी बात यकीन करके वहां इकट्ठा होने लगे और खबर आग की तरह इलाके में फैल गई.
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कफन पहनकर तैयार हो गए थे बुजुर्ग
बात सिर्फ यहीं नहीं खत्म होती, बुजुर्ग शख्स ने अपनी देखरेख में खुद की कब्र भी खुदवाई और नहा-धोकर कफ़न पहनकर घंटों तक अपनी मौत का इंतजार करता रहे लेकिन फरिश्ता उनकी रूह निकालने नहीं आया. रूह निकलते देखने की चाह में जुटी भीड़ भी मायूस होकर घर लौटी. आखिर में पुलिस और प्रशासन के अफसरों ने बुजुर्ग मोहम्मद शफी को समझाया और घर ले जाकर छोड़ा.
5 साल पहले होनी थी मौत
जानकारी के मुताबिक बुजुर्ग मोहम्मद शफी का कहना है कि उनकी फरिश्तों से मुलाकात होती है. इतना ही नहीं शफी ने यह भी बताया कि उनकी मौत 5 साल पहले होने वाली थी लेकिन नहीं हुई, जिसके बाद अब उनकी दोबारा फरिश्तों से मुलाकात हुई लेकिन पहले की तरह इस बार भी उनकी रूह कहीं नहीं गई. वहीं बुजु़र्ग के बेटों ने बताया कि उनके पिता का दिमागी संतुलन ठीक नहीं है.
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