Shakeel Azmi के 10 चुनिंदा शायरी; बस इक पुकार पे दरवाज़ा खोल देते हैं..

Tauseef Alam
Nov 22, 2023


अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी... कितना मुश्किल है बड़े हो के बड़े रहना भी


बात से बात की गहराई चली जाती है... झूट आ जाए तो सच्चाई चली जाती है


मैं सो रहा हूँ तिरे ख़्वाब देखने के लिए... ये आरज़ू है कि आँखों में रात रह जाए


भूक में इश्क़ की तहज़ीब भी मर जाती है... चाँद आकाश पे थाली की तरह लगता है


बस इक पुकार पे दरवाज़ा खोल देते हैं... ज़रा सा सब्र भी इन आँसुओं से होता नहीं


मुझ को बिखराया गया और समेटा भी गया... जाने अब क्या मिरी मिट्टी से ख़ुदा चाहता है


मेरे होंटों पे ख़ामुशी है बहुत... इन गुलाबों पे तितलियाँ रख दे


जब तलक उस ने हम से बातें कीं.. जैसे फूलों के दरमियान थे हम


आज आँखों में कोई रात गए आएगा.. आज की रात ये दरवाज़ा खुला रहने दे

Shakeel Azmi
हार हो जाती है जब मान लिया जाता है.. जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है

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