'मोहब्बत में कोई भी फ़ैसला ज़ाती नहीं होता'; अफजल खान के शेर

Siraj Mahi
Mar 26, 2024


अब जो पत्थर है आदमी था कभी... इस को कहते हैं इंतिज़ार मियाँ


शिकस्त-ए-ज़िंदगी वैसे भी मौत ही है ना... तू सच बता ये मुलाक़ात आख़री है ना


इतनी सारी यादों के होते भी जब दिल में... वीरानी होती है तो हैरानी होती है


लोगों ने आराम किया और छुट्टी पूरी की... यकुम मई को भी मज़दूरों ने मज़दूरी की


मुझे रोना नहीं आवाज़ भी भारी नहीं करनी... मोहब्बत की कहानी में अदाकारी नहीं करनी


तू भी सादा है कभी चाल बदलता ही नहीं... हम भी सादा हैं इसी चाल में आ जाते हैं


बिछड़ने का इरादा है तो मुझ से मशवरा कर लो... मोहब्बत में कोई भी फ़ैसला ज़ाती नहीं होता


बना रक्खी हैं दीवारों पे तस्वीरें परिंदों की... वर्ना हम तो अपने घर की वीरानी से मर जाएँ


हमारा दिल ज़रा उकता गया था घर में रह रह कर... यूँही बाज़ार आए हैं ख़रीदारी नहीं करनी

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