'ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि', अल्लामा इकबाल के शेर

Siraj Mahi
Oct 04, 2023

सितारों से आगे जहाँ और भी हैं... अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं

ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को... कि मैं आप का सामना चाहता हूँ

इल्म में भी सुरूर है लेकिन... ये वो जन्नत है जिस में हूर नहीं

माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं... तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख

हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ी... ख़ुदा करे कि जवानी तिरी रहे बे-दाग़

मिरी निगाह में वो रिंद ही नहीं साक़ी... जो होशियारी ओ मस्ती में इम्तियाज़ करे

जन्नत की ज़िंदगी है जिस की फ़ज़ा में जीना... मेरा वतन वही है मेरा वतन वही है

मन की दौलत हाथ आती है तो फिर जाती नहीं... तन की दौलत छाँव है आता है धन जाता है धन

ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले... ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है

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