दुनिया तो हम से हाथ मिलाने को आई थी, हम ने ही ए'तिबार दोबारा नहीं किया

Zee Salaam Web Desk
Mar 27, 2025


हम तो सुनते थे कि मिल जाते हैं बिछड़े हुए लोग, तू जो बिछड़ा है तो क्या वक़्त ने गर्दिश नहीं की


फ़ैसला बिछड़ने का कर लिया है जब तुम ने, फिर मिरी तमन्ना क्या फिर मिरी इजाज़त क्यूँ


इस आरज़ी दुनिया में हर बात अधूरी है, हर जीत है ला-हासिल हर मात अधूरी है


मुझ में अब मैं नहीं रही बाक़ी, मैं ने चाहा है इस क़दर तुम को


तअ'ल्लुक़ जो भी रक्खो सोच लेना, कि हम रिश्ता निभाना जानते हैं


उड़ गए सारे परिंदे मौसमों की चाह में, इंतिज़ार उन का मगर बूढे शजर करते रहे,


उम्र-भर के सज्दों से मिल नहीं सकी जन्नत, ख़ुल्द से निकलने को इक गुनाह काफ़ी है

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