ये न सोचो कल क्या हो, कौन कहे इस पल क्या हो

Siraj Mahi
Aug 01, 2024

चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा, दिल मिला है कहाँ कहाँ तन्हा

आँखों को देखते ही बोले, बिन पिए कोई मदहोश आया

न कोई शहर न रस्ता न सफ़र, मुंतशिर ज़ेहन की उलझी घातें

कहीं कहीं कोई तारा कहीं कहीं जुगनू, जो मेरी रात थी वो आप का सवेरा है

हँसी थमी है इन आँखों में यूँ नमी की तरह, चमक उठे हैं अंधेरे भी रौशनी की तरह

आबला-पा कोई इस दश्त में आया होगा, वर्ना आँधी में दिया किस ने जलाया होगा

दिल तोड़ दिया उस ने ये कह के निगाहों से, पत्थर से जो टकराए वो जाम नहीं होता

हँस हँस के जवाँ दिल के हम क्यूँ न चुनें टुकड़े, हर शख़्स की क़िस्मत में इनआ'म नहीं होता

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