"ज़िंदगी तू ने तो धोके पे दिया है धोका" फिराक गोरखपुरी के शेर

Siraj Mahi
Aug 27, 2024

मैं हूँ दिल है तन्हाई है, तुम भी होते अच्छा होता

मौत का भी इलाज हो शायद, ज़िंदगी का कोई इलाज नहीं

कोई समझे तो एक बात कहूँ, इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं

जो उन मासूम आँखों ने दिए थे, वो धोके आज तक मैं खा रहा हूँ

कोई आया न आएगा लेकिन, क्या करें गर न इंतिज़ार करें

रोने को तो ज़िंदगी पड़ी है, कुछ तेरे सितम पे मुस्कुरा लें

ज़िंदगी क्या है आज इसे ऐ दोस्त, सोच लें और उदास हो जाएँ

अब तो उन की याद भी आती नहीं, कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ

एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें, और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं

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